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शोध निर्देशक बनने के लिए धरना देंगे महाविद्यालय शिक्षक, कल सामूहिक अवकाश Gorakhpur News

आंदोलन की जानकारी देते हुए गुआक्टा के अध्यक्ष डा. केडी तिवारी ने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय को छोड़कर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों से जुड़े महाविद्यालयों के स्नातक शिक्षक शोध निर्देशक हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय में यह अधिकार न मिलने से उनका शैक्षणिक विकास बाधित हो रहा है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 05:09 PM (IST)Updated: Tue, 06 Apr 2021 05:09 PM (IST)
शोध निर्देशक बनने के लिए धरना देंगे महाविद्यालय शिक्षक, कल सामूहिक अवकाश Gorakhpur News
आंदोलन से संबंधित प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। अनुदानित महाविद्यालयों के शिक्षकों ने शोध निर्देशक बनाने की अपनी मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ गुआक्टा के बैनर तले शिक्षकों ने अपनी मांग को लेकर सात अप्रैल को सामूहिक अवकाश का ऐलान किया है। इस दिन सभी शिक्षक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर में धरना-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही मांग पूरी होने तक सविनय अवज्ञा आंदोलन जारी रखेंगे।

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दूसरे विश्‍वविद्यालयों में नियम तो यहां क्‍यों नहीं

आंदोलन की जानकारी देते हुए गुआक्टा के अध्यक्ष डा. केडी तिवारी और महामंत्री डा. धीरेंद्र सिंह ने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय को छोड़कर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों से जुड़े महाविद्यालयों के स्नातक शिक्षक शोध निर्देशक हैं। गोरखपुर विश्वविद्यालय में यह अधिकार न मिलने से उनका शैक्षणिक विकास बाधित हो रहा है। इसे लेकर गुआक्टा से जुड़े शिक्षक 2019 से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन विश्वविद्यालय के कथित हठी रवैये के चलते उनकी मांग पूरी नहीं हो पा रही है।

शिक्षकों में भविष्‍य को लेकर निराशा

उन्‍होंने कहा कि 13 फरवरी 2019 को संयुक्त शोध समिति की बैठक में एक उप समिति गठित की गई थी। उप समिति ने 18 सितंबर 2019 को ही अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दिया था। विद्या परिषद और कार्य परिषद ने प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित भी कर दिया पर लाकडाउन के चलते उस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए कुलाधिपाति के पास नहीं भेजा जा सका। अब जबकि परिस्थितियां अनुकूल हो गई हैं, बावजूद इसके वर्तमान कुलपति प्रो. राजेश सिंह उनके प्रस्ताव की फाइल को कुलाधिपति के पास नहीं भेज रहे। इससे शिक्षकों में भविष्य को लेकर निराशा व रोष है। इसके अलावा वर्तमान कुलपति महाविद्यालयों में सेवारत शिक्षकों के शोध के लिए तीन साल का अवकाश लेने का नियम बना रहे हैं जो अनुचित है। आंदोलन के माध्यम से इसका भी पुरजोर विरोध करने की बात दोनों पदाधिकारियों ने कही है।


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