मोरारी बापू की श्रीरामकथा में आज कुशीनगर जाएंगे सीएम योगी आदित्यनाथ
कुशीनगर में आयोजित प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की श्रीरामकथा सुनने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को जाएंगे। मंगलवार को देर शाम उनके आगमन का मिनट टू मिनट कार्यक्रम जारी हो गया। शासन स्तर से मिले संकेतों के आधार पर प्रशासन पूर्व से ही व्यवस्था में जुटा था।
गोरखपुर, जेएनएन। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर में आयोजित प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू की श्रीरामकथा सुनने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को जाएंगे। मंगलवार को देर शाम उनके आगमन का मिनट टू मिनट कार्यक्रम जारी हो गया। शासन स्तर से मिले संकेतों के आधार पर प्रशासन पूर्व से ही व्यवस्था में जुटा था।
यह है सीएम का कार्यक्रम
मुख्यमंत्री 1.30 बजे कथा पंडाल में प्रवेश करेंगे और आधा घंटा रहने के पश्चात हेलीकाप्टर से चौरीचौरा शहीदस्थल के लिए प्रस्थान कर जाएंगे। कुशीनगर में मुख्यमंत्री का हेलीकाप्टर कुशीनगर में पर्यटन विभाग की पार्किंग में बने अस्थायी हेलीपैड पर लैंड करेगा। हेलीपैड से 500 मीटर की दूरी पर कथा प्रांगण स्थित है। जिलाधिकारी एस राजलिंगम व एसपी विनोद सिंह ने हेलीपैड व कथा पंडाल का निरीक्षण किया। मातहत अधिकारियों को आवश्यक सुरक्षा प्रबंध करने का निर्देश दिया। कार्यक्रम स्थल पर सुरक्षा जांच के लिए मेटल डिटेक्टर लगाए जा रहे हैं। अधिकारियों ने प्रवेश द्वार पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी लगाकर पास आदि चेक करने का निर्देश दिया। डीएम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गईं हैं। कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए कार्यक्रम होगा।
गोरक्षनगरी में बनी बुद्धभूमि पर रामकथा की योजना
बुद्ध की महापरिनिर्वाण भूमि कुशीनगर में प्रख्यात कथा ब्यास मोरारी बापू की रामकथा की योजना गोरक्ष भूमि गोरखपुर में बनी। इसकी पृष्ठभूमि उद्योगपति अमर तुलस्यान के परिवार ने बनाई थी। कुशीनगर में रामकथा के आयोजन का पूरा श्रेय तुलस्यान परिवार को देते हुए मोरारी बापू ने कहा दिव्य भूमि पर आकर रामकथा कहने का उनका वर्षो पुराना मनोरथ पूर्ण हुआ है। बापू ने बुद्ध की अवतरण स्थली लुंबिनी नेपाल में रामकथा कहने की इच्छा जताई। बता दें कि मोरारी बापू 18 माह पूर्व गोरखपुर आए थे। अमर तुलस्यान ने मोरारी बापू से बुद्ध भूमि का उल्लेख करते हुए बड़े चाव से यह कथा मांगी थी। बताया कि कुशीनगर एक घंटे की दूरी पर स्थित है। कम समय में बेहतर व्यवस्था करने के लिए आयोजक मंडल की सराहना की। बुद्ध के प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ, ज्ञान प्राप्त स्थल बोधगया, निर्वाण स्थल कुशीनगर के बाद जन्म स्थल लुंबिनी नेपाल में भी कथा कहने की इच्छा जताई है।