गोरखपुर में बोले सीएम योगी आदित्यनाथ, आत्महत्या को मजबूर किसानों के चेहरे पर दिख रही खुशहाली
CM Yogi Adityanath in Gorakhpur गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2014 के पहले किसान आत्महत्या को मजबूर थे। खेती-किसानी से पिंड छुड़ा रहे थे। अब उनके चेहरे पर खुशहाली दिख रही है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। CM Yogi Adityanath in Gorakhpur: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 2014 के पहले किसान आत्महत्या को मजबूर थे। खेती-किसानी से पिंड छुड़ा रहे थे। अब उनके चेहरे पर खुशहाली दिख रही है। आज पीएम मोदी के प्रयासों से किसानों को लागत का डेढ़-दो गुना समर्थन मूल्य मिल रहा है।
ग्रामीण क्षेत्र के स्वावलंबन में होगी आजीविका मिशन से जुड़े महिला स्वयं सहायता समूहों की बड़ी भूमिका
सीएम योगी रविवार को योगीराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह एवं संस्कृत केंद्र में नाबार्ड की तरफ से आयोजित राज्य ऋण संगोष्ठी एवं ग्रामीण समृद्धि सम्मान समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) और ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में स्वावलंबन के लिए बड़ी भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने 10 हजार एफपीओ के गठन का लक्ष्य रखा है। उप्र में भी एक हजार एफपीओ गठित किए जाने हैं। आजीविका मिशन की भूमिका को लेकर 2019 में बनी झांसी की बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे 600 से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं और उन्होंने चार करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। उन्होंने कहा कि एफपीओ व महिला समूहों को आगे बढ़ाने में नाबार्ड और अन्य बैंकर्स की बड़ी भूमिका हो सकती है। 2016 तक देश की छठवीं अर्थव्यवस्था वाला यह प्रदेश सिर्फ चार साल में देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य है।
नाबार्ड के तत्वावधान में राज्य ऋण संगोष्ठी एवं ग्रामीण समृद्धि सम्मान समारोह का आयोजन
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का डिजिटल भुगतान पर विशेष जोर है। उनका मानना है कि डिजिटल लेन-देन बढ़ेगा तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। ऐसे में नाबार्ड और बैंक ग्रामीण स्तर पर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दें। इसके लिए किसानों को शिक्षित करें। मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का सम्मान, नाबार्ड द्वारा तैयार स्टेट फोकस पेपर का अनावरण, नाबार्ड के चार दशक पूर्ण होने पर काफी टेबल बुक का विमोचन किया। साथ ही घोषणा किया कि 3.47 लाख करोड़ का ऋण साल 2022-23 में ग्रामीण अर्थ व्यवस्था के विकास के लिए प्रदेश में नाबार्ड और विभिन्न बैकों द्वारा वितरित किए जाएंगे। इनमें 1.57 लाख करोड़ किसानों को फसली ऋण, 97 हजार करोड़ एमएसएमई सेक्टर और 38 हजार करोड़ अन्य प्राथमिकता के सेक्टर के लिए आंका गया है।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान कुशीनगर स्थित दिव्यांगों द्वारा संचालित कसया दुग्ध उत्पादक कंपनी के मिल्क एटीएम का भी उदघाटन किया। इसके अलावा चार उत्कृष्ट एफपीओ और छह महिला स्वयं सहायता समूहों को भी सम्मानित किया। कार्यक्रम में गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, बलिया, फैजाबाद अयोध्या एवं आजमगढ़ समेत 11 जिलों के 11 सौ किसान और समूह की महिलाएं शामिल हुईं।
इसके पूर्व नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डा.डीएस चौहान ने सीएम योगी आदित्यनाथ का अभिनंदन किया। नाबार्ड की उपलब्धियों और दायित्व से अवगत कराया। कार्यक्रम में विधायक विपिन सिंह, विधायक शीतल पांडेय, उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष संतराज यादव, उप्र राज्य सरकारी बैंक के उपाध्यक्ष जितेंद्र बहादुर सिंह, डीएम विजय किरण आनंद, सीडीओ इंद्रजीत सिंह तथा ओएसडी उमेश सिंह उर्फ बल्लू राय मौजूद रहे।
आजीविका मिशन से एक करोड़ महिलाओं को जोड़ना लक्ष्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 52 लाख महिलाएं स्वयं सहायता समूहों के जरिए आजीविका मिशन से जुड़ी हैं। अगले तीन माह में इस संख्या को एक करोड़ पहुंचाने का लक्ष्य है। इसी तरह हर जिले में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्रों से तीन से चार एफपीओ गठित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
खाद्यान्न उत्पादन में यूपी नंबर वन
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के बाद से यूपी खाद्यान्न उत्पादन में नंबर वन है। परेशान आलू उत्पादक किसानों को भी समर्थन मूल्य दिया गया। प्रदेश न सिर्फ गन्ना उत्पादन में नंबर वन हो गया है बल्कि रिकार्ड 1.45 लाख करोड़ रुपये गन्ना मूल्य भुगतान करने वाला प्रदेश भी है। 1.35 लाख करोड़ तो सीधे चीनी मिलों से भुगतान किया गया है, खांडसारी और एथेनाल से हुई आय अतिरिक्त है। कोरोनाकाल में भी प्रदेश की सभी चीनी मिलें चलाई गईं। गेहूं खरीद में रिकार्ड बनाने के बाद अब धान खरीद के लिए पांच हजार क्रय केंद्र खोले जा रहे हैं।
फसली ऋण के लिए सौंपा 2200 करोड़ रुपये का स्वीकृति पत्र
मुख्यमंत्री ने नाबार्ड के माध्यम से उप्र राज्य सहकारी बैंक को अल्पावधि फसली ऋण के लिए 2200 करोड़ रुपये का स्वीकृति पत्र सौंपा। इसके अलावा बड़ौदा यूपी बैंक गोरखपुर व गोरखपुर डीसीसीबी के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों और कृषकों को ऋण स्वीकृति पत्र, बड़ौदा यूपी बैंक गोरखपुर को वित्तीय साक्षरता हेतु 2.5 करोड़ रुपये का स्वीकृति पत्र, उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक में डिजिटलीकरण के लिए 6.25 लाख रुपये अनुदान स्वीकृति पत्र, स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा एफपीओ को ऋण स्वीकृति पत्र का वितरण भी किया।