गोरखपुर में हैंडपंप से अपने आप निकल रहा पानी, फर्श व दीवार से भी निकल रही जलधारा
गोरखपुर के संतोष शुक्ला का हैंडपंप बगैर चलाए ही पानी दे रहा है तो इसी मोहल्ले के सुधाकर राय के फर्श और दीवार से अपने आप टोटी जैसी धार बह रही है। ऐसा किसी जादू या विज्ञान से नहीं बल्कि शहर के बढ़ते भूजल स्तर के कारण हो रहा है।
गोरखपुर, रजनीश त्रिपाठी। Water coming out of hand pump in gorakhpur: गोरक्षनगर के संतोष शुक्ला का हैंडपंप बगैर चलाए ही पानी दे रहा है तो इसी मोहल्ले के सुधाकर राय के टाइल्स लगे फर्श और दीवार से अपने आप टोटी जैसी धार बह रही है। ऐसा किसी जादू या विज्ञान से नहीं बल्कि शहर के बढ़ते भूजल स्तर के कारण हो रहा है। भारी बारिश से समृद्ध हुआ जिले का औसत जलस्तर इस बार रिकार्ड बनाने की ओर अग्रसर है। मानसून खत्म होने तक इसके एक से डेढ़ मीटर पर आ जाने की आकलन किया जा रहा है। भूगर्भ जल विभाग का मानना है कि इसी माह होने वाली पोस्ट मानसून गणना के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
पोस्ट मानसून मापन में भूजल स्तर रिकार्ड डेढ़ मीटर पर आने का आकलन
इस वर्ष के मुकाबले पिछली बार कम बारिश के बावजूद औसत जलस्तर में तीन मीटर से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस वर्ष चार माह में ही इतनी बारिश (1621 मिमी) हो गई, जितनी पिछले पूरे साल (1605 मिमी) नहीं हुई थी। पिछले साल मानसून के पहले जिले का औसत जलस्तर 5.43 मीटर था, जो मानसून के बाद तीन मीटर बढ़ते हुए 2.41 पर आ गया। हालांकि छह-सात महीने बाद मई 2021 में जलस्तर फिर घटकर 4.61 मीटर पर चला गया। प्री-मानसून गणना के अनुसार इस्तेमाल के बावजूद जिले का औसत भूजल स्तर करीब एक मीटर बढ़ा। अब अक्टूबर-नवंबर में पोस्ट मानसून की गणना की जाएगी, जिससे जलस्तर में हुई वृद्धि का पता चलेगा।
तीन मीटर चढ़ता-उतरता है जलस्तर
जिले के जलस्तर में औसत उतार-चढ़ाव सालाना करीब तीन मीटर है। यानी मानसून के दौरान जलस्तर में करीब तीन मीटर का इजाफा हो जाता है। मानसून खत्म होने के बाद इसमें करीब तीन मीटर की ही गिरावट भी आती है।
साल में दो बार नापा जाता है जलस्तर
भूगर्भ जल विभाग साल में दो बार जलस्तर का मापन करता है। पहली, प्री मानसून गणना मई-जून और दूसरी पोस्ट मानसून, जो अक्टूबर-नवंबर में होती है। दोनों की रिपोर्ट के आधार पर साल भर का औसत निकाला जाता है। विभाग ने गणना के लिए विश्वविद्यालय परिसर, सब्जी मंडी, सिक्टौर, नौसढ़, तुर्कमानपुर संस्कृत विद्यालय समेत सौ से अधिक स्थानों पर हाइड्रोग्राफ स्टेशन बनाए हैं। यहां पीजोमीटर के जरिये जलस्तर का मापन होता है।
सुरक्षित श्रेणी में है गोरखपुर
भूगर्भ जल विभाग के दिनेश जायसवाल बताते हैं कि स्टेज आफ ग्राउंड वाटर डेवलपमेंट की चार श्रेणियां अतिदोहित, संवेदनशील, मिश्रित संवेदनशील और सुरक्षित हैैं। गोरखपुर के सभी विकासखंड सुरक्षित श्रेणी में हैं।
बढ़ते जलस्तर के फायदे तो नुकसान भी
जलस्तर बढऩे के फायदे हैं तो नुकसान भी। विशेष तौर पर उन किसानों के लिए जिनकी जमीनें ऐसे इलाकों में हैं, जहां जलस्तर काफी ऊपर है। जलस्तर समय से नीचे नहीं गया तो धान की कटाई समय पर नहीं हो पाएगी। वहीं, सब्जी, गेहूं, तिलहन आदि की बुआई में देरी होगी। इन इलाकों में मौजूद मिट्टी के घर भी कमजोर हो जाते हैं।
जलस्तर बढऩे से पानी का दबाव जमीन से ऊपर उठने लगता है, जिससे हैंडपंप से अपने आप पानी गिरने लगता है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। - रागिनी सरस्वती, भूजल विज्ञानी, भूगर्भ जल विभाग।
पोस्ट मानसून जलस्तर का आकलन अक्टूबर-नवंबर में किया जाता है। बारिश से जलस्तर कितना बढ़ा, तभी पता चलेगा। - आमोद कुमार, अधिशासी अभियंता, भूगर्भ जल विभाग।
वर्ष प्री-मानसून पोस्ट मानसून
2020-21 5.43 2.41
2019-20 6.04 3.33
2018-19 5.54 4.54
2017-18 5.50 3.26
2016-17 6.00 3.70
टाइल्स की दरारों और दीवार तोड़कर बह रहा पानी
अतिवृष्टि के बाद नलों से अपने आप पानी आने व बोरिंंग से अपने आप पानी बहने की बात तो बहुत देखी व सुनी गई है। लेकिन जलस्तर इतना ऊपर आ जाए की टाइल्स की दरारों को तोड़ पानी फौबारे की तरह और दीवाल में सुराख कर टोटी की तरह से पानी बाहर आने लगे ऐसा शायद ही कही देखा हो। ऐसा नजारा सिंघडिय़ा क्षेत्र के गोरक्षनगर कालोनी में आम हो गया है। यहां कई लोगों के घरों में टाइल्स की दरारों व दीवार तोड़ कर पानी अपने आप बाहर आ रहा है।
इस वर्ष मई माह के अंत से ही शुरू हुई अतिवृष्टि रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसका असर सिंघडिय़ा क्षेत्र के गोरक्षनगर कालोनी में दिखाई दे रहा है। यहां पानी का जलस्तर इतना ऊपर आ गया है कि कई जगह जमीन में से अपने आप पानी निकलता हुआ देखा जा सकता है। थल सेना से सेवानिवृत्त सुधाकर राय के घर मैं टाइल्स की दरारों को तोड़कर जमीन के भीतर से पानी निकल रहा है इसके अलावा मकान में कई जगह से जमीन के भीतर से रिसाव हो गया है और पानी पूरे फर्श पर बहता हुआ दिखाई दे रहा है।
इसी कालोनी के रहने वाले राकेश पाठक ने पुराना मकान को इसी साल रिमोट लिंग कराया था फर्श को मजबूती से बनवाया गया था लेकिन नई बनी दीवाल में पानी ने बड़ा सुराख कर दिया है इस रास्ते से जमीन का पानी टोटी की तरह से अपने आप बाहर निकल रहा है इन दोनों घरों में जमीन से अपने आप पानी निकलना के कारण कालोनी वासी दहशत में है। यहां के निवासी रविंद्र पांडेय ने बताया कि प्रशासन की लापरवाही के कारण दर्जनों मुहल्लों के पानी को गोरक्षनगर में डाइवर्ट कर दिया गया है। सांसद आवास के सामने 60 फुट चौड़ी सड़क नाले में तब्दील हो गई है। गोरक्ष नगर की 30 फुट चौड़ी रोड लगभग 300 मीटर तक नाले की शक्ल ले चुकी है । जमीन से पानी अपने आप बाहर निकलने के बाद प्रशासन को इसके मुकम्मल इंतजाम की व्यवस्था करनी चाहिए।