ओवरहेड टैंक के ओवरफ्लो पानी से किसान कर रहे सिचाई
नगर पालिका सिद्धार्थनगर ने जल संचयन की नई पहल शुरू की है। पुरानी नौगढ़ स्थित जलकल के ओवरहेड टैंक के ओवरफ्लो होने से रोजाना बर्बाद हो रहे हजारों लीटर पानी को संरक्षित किया जा रहा है। पहले इसे बमबम बाबा मंदिर तालाब में गिराया जा रहा है।
सिद्धार्थनगर : नगर पालिका सिद्धार्थनगर ने जल संचयन की नई पहल शुरू की है। पुरानी नौगढ़ स्थित जलकल के ओवरहेड टैंक के ओवरफ्लो होने से रोजाना बर्बाद हो रहे हजारों लीटर पानी को संरक्षित किया जा रहा है। पहले इसे बमबम बाबा मंदिर तालाब में गिराया जा रहा है। एक स्तर पर पहुंचने के बाद इस पानी के निकासी की व्यवस्था की गई है। तालाब से निकलने वाले पानी को अंडरग्राउंड पाइप के माध्यम से पहाड़ी नाला जमुआर में गिराया जा रहा है। जिसका उपयोग किसान खेतों की सिचाई के लिए कर रहे हैं। रेहरा के ओवरहेड से गिरने वाले पानी का भी इसी तर्ज पर संचय किया जा रहा है। वहां के तालाब से इस पानी को पास में गुजर रहे माइनर में गिराया जा रहा है।
नगर पालिका सिद्धार्थनगर ने रोजाना बर्बाद होने वाले करीब 20 हजार लीटर पानी को संचय करने की पहल की है। इस पानी को पहले तालाबों में पहुंचाया जा रहा है। बमबम बाबा मंदिर के तालाब को स्थानीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया है। इसके पानी को स्वच्छ रखने के लिए इसमें कछुआ, मछली व बत्तख का पालन किया गया है। बच्चों के लिए पैडल वोट भी है। तालाब में लगे फाउंटेन (फौव्वारा) की रंगबिरंगी रोशनी लोगों को आकर्षित कर रही है। वहीं क्षेत्र का जलस्तर भी ऊपर उठने लगा है।
दो लाख की लागत में तैयार हुई परियोजना
बमबम बाबा तालाब से ओवरहेड टैंक की दूरी 70 मीटर है जबकि पहाड़ी नाला जमुआर 110 मीटर दूर। 170 मीटर अंडरग्राउंड नाली बनाने में करीब 1.95 लाख का खर्च आया। वहीं रेहरा तालाब की परियोजना को पूरा करने में 2.10 लाख का खर्च आया है। नगर पालिका अध्यक्ष श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि ओवरहेड टैंक से लगातार ओवरफ्लो होता रहता है, इस पानी का सदुपयोग करने की योजना तैयार की गई। पहले बमबम बाबा तालाब में इसे प्रयोग में लाया गया। इसके सफल होने के बाद दूसरे तालाब में भी लागू किया गया है। नगर पालिका क्षेत्र में सात ओवरहेड टैंक हैं, सभी के ओवरफ्लो से गिरने वाले पानी को प्रयोग में लाने की योजना है। एसडीएम सदर विजय कश्यप का कहना है कि नगर पालिका क्षेत्र के ओवरहेड टैंक के ओवरफ्लो होने के बाद गिरने वाले पानी को प्रयोग में लाने की योजना को मूर्त रूप दिया गया है। पहले चरण में यह योजना सफल हुई है, अब इसे आगे भी लागू किया जाएगा। कम खर्च में जल संरक्षण का यह सही माध्यम दिखा है। इस पानी से तालाब को पानी मिल रहा है और किसान सिचाई भी कर रहे हैं।