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बात-बात में बदला लेने को बोलता है बेटा, जानें, क्‍या है असली कारण

पिछले एक माह में गोरखपुर के मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र पहुंचे अधिकांश बच्चों में काउंसिलिंग के दौरान मनोविकार व्यक्तित्व विकार व दूसरों को परेशान करने जैसी प्रवृत्ति भी मिली है। यदि इनकी सही काउंसिलिंग नहीं हुई तो यह आगे चलकर यह परिवार व समाज के लिए घातक हो सकते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 07:50 AM (IST)
बात-बात में बदला लेने को बोलता है बेटा, जानें, क्‍या है असली कारण
कोरोना काला में बच्‍चों में चिड़चिड़ापन बढ़ गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, प्रभात कुमार पाठक। मेरा बेटा इन दिनों अजीब हरकत करता है। बात-बात में बदला लेने को बोलता है। घरवालों के साथ भी उसका बर्ताव अच्छा नहीं है। अपनी बात मनवाने के लिए ब्लैकमेल तक करता है। शहर के राप्तीनगर के रहने वाले एक अभिभावक जब अपने बच्चे की समस्याओं को लेकर मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र पहुंचे और मनोवैज्ञानिक को अपनी व्यथा बताई तो वह भी हैरत में पड़ गए। लाकडाउन व कोरोनाकाल में स्कूल बंद होने व बच्चों को घरों में कैद रहने के कारण उनमें इस तरह की बढ़ रही प्रवृत्ति ने अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। अब वह इससे निजात पाने के लिए बच्चों की काउंसिलिंग के लिए मनोविज्ञान केंद्र पहुंचे रहे हैं।

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पिछले एक माह में मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र पहुंचे अधिकांश बच्चों में काउंसिलिंग के दौरान मनोविकार, व्यक्तित्व विकार व दूसरों को परेशान करने जैसी प्रवृत्ति भी मिली है। यदि इनकी सही काउंसिलिंग नहीं हुई तो यह आगे चलकर यह परिवार व समाज के लिए घातक हो सकते हैं। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में मनोवैज्ञानिक बच्चों से सवाल के जरिये उनके अंदर की प्रवृत्ति की जानकारी कर लेते हैं. इसके लिए वह बाकायदे उनसे सवाल पूछते हैं. पिछले एक माह में एक दर्जन से अधिक मामले आ चुके हैं. केंद्र के विशेषज्ञों की मानें तो समय पर बच्चों की काउंसिलिंग कराकर तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है। नहीं तो आगे चलकर ऐसे बच्चे माता-पिता के लिए बड़ी समस्या बन सकते हैं.

क्या है चिड़चिड़ेपन का कारण

बच्चों में बढ़ते चिड़चिड़ेपन के कारणों पर नजर डालें तो पारिवारिक कलह, गलत मित्रता, बचपन से मानसिक रूप से कमजोर होना, माता-पिता का बच्चे के ऊपर ध्यान न देना, बचपन में ही उन पर पढ़ाई का अधिक बोझ तथा उनके गलत परवरिश देना आदि इसके प्रमुख कारण हैं।

काउंसिलिंग के लिए केंद्र पर आए बच्चे

2015 में 79

2016 में 166

2017-18 में 199

2020 में 84

आजकल केंद्र पर काउंसिलिंग के लिए जो बच्चे आ रहे हैं. उनमें से अधिकांश में चिड़चिड़ेपन के लक्षण मिल रहे हैं. सही समय पर बच्चों की काउंसिलिंग हो जाए तो इस समस्या से निजात मिल सकती है. केंद्र पर बच्चों की कांउसिलिंग कर इनके अंदर से इस तरह की बातें निकाल दी जाती हैं! - डा.हिमांशु पांडेय, विशेषज्ञ, मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र। 


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