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Bird Flu in Gorakhpur: बर्ड फ्लू के खौफ में चिकन-अंडा सस्ता, मटन-मछली के दाम बढ़े

Bird Flue in Gorakhpur बर्ड फ्लू के खौफ के बीच नानवेज का कारोबार ठंडा पडऩे लगा है। सबसे ज्यादा बिकने वाला अंडा व चिकन की मांग कम हो गई है। दूसरी तरफ मटन व मछली की खपत थोड़ी बढ़ गई है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 09:08 AM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 07:36 PM (IST)
Bird Flu in Gorakhpur: बर्ड फ्लू के खौफ में चिकन-अंडा सस्ता, मटन-मछली के दाम बढ़े
बर्ड फ्लूू के खौफ में गोरखपुर में चिकन का दाम कम हो गया है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। बर्ड फ्लू के खौफ के बीच नानवेज का कारोबार ठंडा पडऩे लगा है। सबसे ज्यादा बिकने वाला अंडा व चिकन की मांग कम हो गई है। दूसरी तरफ मटन व मछली की खपत थोड़ी बढ़ गई है। चिकन 200 रुपये प्रतिकिलो से घटकर 100 तो अंडा 190 रुपये प्रति ट्रे (30 अंडे) से 135 रुपये पर आ गया है। वहीं मटन 550 से बढ़कर 650 तथा मछली 140 रुपये किलो से बढ़कर 180 तक पहुंच गई है। 

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बर्ड फ्लू का खतरा पक्षियों में सबसे ज्यादा होता है इसलिए इसका चिकन व अंडे के दामों पर दिख रहा है। दस दिन पहले तक थोक में 140 रुपये किलो बिकने वाला खड़ा मुर्गा महज 50 रुपये किलो बिक रहा है, हालांकि थोक रेट को देखते हुए फुटकर विक्रेता ग्राहकों से अब भी ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं। दूसरी तरफ मटन और मछली की मांग और कीमत दोनों बढ़े हैं।

जाफरा बाजार, सूरजकुंड, मोहद्दीपुर, शाहमारुफ, घोष कंपनी, गोरखनाथ, रुस्तमपुर, राजघाट आदि बाजार में मटन के दाम पचास से लेकर सौ रुपये तक तथा रेहू मछली 40 रुपये किलो तक बढ़े हैं। मछली विक्रेता शामली देवी ने बताया कि थोक मंडी में मछली महंगी हो गई है, इसलिए हमलोगों को भी दाम बढ़ाना पढ़ा। आम दिनों में आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियां अधिकतम 150 रुपये किलो तक बेचा जा रहा थी। खूनीपुर के मोहम्मद एजाज ने बताया कि जिस दुकान से नियमित रूप से मटन खरीदते थे, उसने दो दिन पहले पति किलो 50 रुपये बढ़ा दिया है। मौके का फायदा उठा अन्य दुकानदारों ने भी रेट बढ़ा दिया है। 

खाने वालों को कम, काटने वालों को ज्यादा खतरा 

बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा चिकन खाने वालों को कम और मुर्गा काटने वालों को ज्यादा होता है। डाक्टरों के मुताबिक चिकन को पूरी तरह पकने की वजह से संक्रमण का खतरा न के बराबर होता है, जबकि बर्ड फ्लू का खतरा उन लोगों को अधिक होता है जो ज्यादा समय तक बीमार पक्षियों के संपर्क में रहता है। किसी एक व्यक्ति में संक्रमण आए जाए तो दूसरे में फैल जाता है।


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