Chhath Vrat: फोटो में देखिए, गोरखपुर में कैसे मनाया गया छठ व्रत Gorakhpur News
कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को देखते हुए अनेक व्रतियों ने सपरिवार शनिवार को घर पर ही छठ पर्व मनाया। छत पर पोखरा निर्मित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और मंगल कामना के साथ ही कोरोना के नाश की प्रार्थना की।
गोरखपुर, जेएनएन। छठ व्रत पर शहर के नदी हर घाटों, हर पोखरों और करीब-करीब सभी मोहल्लों में बनाए गए गड्ढे, पोखरी में शनिवार की सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु उगते सूरज को अर्घ्य देने के लिए खड़े रहे। सूर्योदय जैसे ही हुआ सभी अर्घ्य देकर भगवान सूर्य को प्रणाम किया। उसके बाद प्रसाद वितरण किया गया।
व्रतियों ने घर पर मनाई छठ, छत पर बनाया पोखरा
कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को देखते हुए अनेक व्रतियों ने सपरिवार शनिवार को घर पर ही छठ पर्व मनाया। छत पर पोखरा निर्मित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और मंगल कामना के साथ ही कोरोना के नाश की प्रार्थना की।
रामनगर कालोनी, बशारतपुर की राधिका पांडेय ने घर की छत पर पोखरी का निर्माण कर बच्चों व मोहल्ले की कई महिलाओं के साथ छठ पर्व मनाया। भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। बेतियाहाता दक्षिणी निवासी रीता के परिवार की महिलाएं विगत 25 वर्षों से राप्ती नदी के राजघाट पर भगवान सूर्य को अर्घ्य देती आ रही हैं। इस बार कोरोना को देखते हुए बचाव के नियमों का पालन किया। छत पर ही कृत्रिम पोखरा बनाया गया है। उनके परिवार के साथ आसपास की व्रतियों ने भी वहीं पूजा की। इसमें रीता, नीता, अनीता, पल्लवी, सुनीता, प्रिया मिश्रा, सुनीता सिन्हा, किरण सिन्हा व अल्पना सिन्हा ने भाग लिया।
इसी क्रम में बिलंदपुर की सुमन यादव, पुरानी चुंगी राजघाट की संगीता जायसवाल, तुर्कमानपुर की द्रौपदी देवी, संध्या व प्रीति ने छत पर टब में पानी रखकर भगवान सूर्य की आराधना की। बिछिया की रीता चौधरी ने आर्डर देकर लकड़ी का तालाब बनवाया है, जिसमें चारो कोने में केले का पौधा स्थापित करने की जगह बनाई गई है। उन्होंने भी छत पर तालाब में पानी भरकर छठ पर्व मनाया। इसके अलावा नरसिंहपुर की प्रियंका जायसवाल, राजघाट की सरस्वती देवी, तुर्कमानपुर की रागिनी देवी, शाहपुर की रेखा जायसवाल व हांसूपुर की रीनू ने घर पर ही छठ पर्व मनाया।
जानें, क्या कहतीं हैं श्रद्धालु महिलाएं
नरसिंहपुर की प्रियंका जायसवाल का कहना है कि छठ माता की पूजा कहीं भी की जा सकती है। आस्था व श्रद्धा हो तो घर में भी पूजा करने से पूरा फल मिलता है। मैंने मंगल कामना के साथ कोरोना के नाश की भी प्रार्थना की है। हांसूपुर की रीनू का कहना है कि हर साल राप्ती नदी के राजघाट पर जाती थी। वहीं वेदी बनती थी। पूरा परिवार जाकर पूजा करता था। इस बार कोविड से बचाव के नियमों का पालन करते हुए घर पर पूजा की। राजघाट की सरस्वती देवी का कहना है कि छठ माता कोरोना रूपी महामारी को खत्म कर देंगी। इसी कामना के साथ इस बार व्रत रही हूं। छत पर टब में पानी भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया है।
आस्था है तो कहीं भी करें पूजा
तुर्कमानपुर निवासी रागिनी देवी का कहना है कि आस्था छठ माता में है। इसलिए पूजा नदी में करें या घर पर, इससे फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि आस्था ही फलती है। मां सब देख रही हैं। वह सबका कल्याण करेंगी। शाहपुर की रेखा जायसवाल का कहना है कि छठ माता की अनुकंपा अपार है। उनकी कृपा मेरे पूरे परिवार पर बरसती है। हर साल मैं छठ व्रत रहती हूं और नदी तट पर जाकर पूजा करती थी। इस बार घर पर ही अर्घ्य दिया।
सेवा में जुटी रहीं समितियां
विभिन्न छठ घाटों पर समितियां श्रद्धालुओं की सेवा में जुटी रहीं। दूध, पानी, फूल माला के अलावा चाय की व्यवस्था भी की गई थी। समितियों के स्वयं सेवक श्रद्धालुओं की मदद कर रहे थे। परिवार से बिछड़े बच्चों व बुजुर्गों को मिलाया जा रहा था। राजघाट पर छठ पूजा मझवार सेवा समिति, सूर्यकुंड धाम पर सूर्यकुंड धाम विकास समिति, महेसरा ताल पर बामंत माता मंदिर सेवा समिति, जगन्नाथपुर में छठ पूजा आयोजन समिति ने अपना कैंप लगाया था।