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जानें-तापमान क्‍यों बिगाड़ रहा सेहत, क्‍या कहते हैं मौसम विशेषज्ञ Gorakhpur News

बीते एक सप्ताह में न्यूनतम तापमान का औसत 14 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है। जबकि पिछले 20 वर्षो के अध्ययन के मुताबिक नवंबर के पहले पखवारे में 18 डिसे के इर्दगिर्द रहना चाहिए।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 09:00 PM (IST)
जानें-तापमान क्‍यों बिगाड़ रहा सेहत, क्‍या कहते हैं मौसम विशेषज्ञ Gorakhpur News
जानें-तापमान क्‍यों बिगाड़ रहा सेहत, क्‍या कहते हैं मौसम विशेषज्ञ Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। मौसम विशेषज्ञों का अध्ययन कह रहा है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को इस बार ठंड जमकर सताएगी। यह तो बाद में होगा फिलहाल तापमान का अंतराल लोगों पर भारी पड़ रहा है। अधिकतम तापमान का 30 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान का 15 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहना मौसम के बिगड़े मिजाज का प्रमाण है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान के अंतराल का औसत से चार डिग्री सेल्सियस अधिक होना सेहत के लिए दिक्कत का सबब है। अस्पतालों में मौसमी बीमारियों के मरीजों की लग रही लंबी कतार इसकी गवाही है।

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इस तरह होना चाहिए मौसम

बीते एक सप्ताह में न्यूनतम तापमान का औसत 14 से 17 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा है। जबकि पिछले 20 वर्षो के अध्ययन के मुताबिक नवंबर के पहले पखवारे में इसे 18 डिग्री सेल्सियस के इर्दगिर्द रहना चाहिए। उधर बीते सप्ताह अधिकतम तापमान का औसत करीब 30 डिग्री सेल्सियस रहा, जो बीते 20 वर्ष के औसत अधिकतम तापमान से दो से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक है। ऐसे में अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच का अंतर भी औसत से अधिक हो गया है। जो अंतर अधिकतम 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए, वह बढ़कर 14 से 16 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। चिकित्सकों के मुताबिक मनुष्य की सामान्य प्रतिरोधक क्षमता 10 डिग्री सेल्सियस का अंंतराल सहने की होती है। ऐसे में इससे ज्यादा अंतराल का सेहत पर भारी पडऩा लाजिमी है।

पछुआ हवाएं गिराएंगी तापमान

मौसम विशेषज्ञ कैलाश पांडेय ने बताया पछुआ हवाएं ही तापमान के अंतराल को कम करेंगी। वायुमंडल के ऊपरी सतह पर इनके चलने का सिलसिला शुरू हो गया है। अभी रफ्तार कम है, इसके बढ़ते ही वातावरण में स्थगित एयरोसोल जमीन पर आ जाएंगे। यह एयरोसोल ही अधिकतम तापमान के 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास बने रहने का कारण हैं। जैसे ही एयरोसोल वातावरण से समाप्त होंगे अधिकतम तापमान गिरने लगेगा और ठंड बढऩे लगेगी।

प्रतिरोधक क्षमता घटने से बढ़ गई है समस्या

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजकिशोर सिंह ने बताया कि खानपान की बदइंतजामी और तनाव की वजह से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। ऐसे में मौसम का यह रुख लोगों पर काफी भारी पड़ रहा है। ओपीडी में एलर्जी और वायरल बुखार में मरीज काफी संख्या में आ रहे हैं।  इससे बचने के लिए तापमान के अंतराल के मुताबिक शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखना होगा।

चिकित्सकों की सलाह, सजगता ही बचाव

जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. बीके सुमन के अनुसार इस समय अस्पताल में आने वाले मरीजों में 50 फीसद मरीज खांसी, सर्दी, जुकाम और वायरल बुखार के हैं। एलर्जी के मरीज तो इस मौसम में खासे परेशान हैं। अस्थमा के मरीजों की दिक्कत चरम पर है। ठंडे पानी का सेवन तत्काल बंद कर दें। नहाने के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। शरीर के तापमान का संतुलन बनाए रखें। म'छर से बचने का हर उपाय करें।       


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