श्रद्धा व उमंग से मना खालसा पंथ के संस्थापक का प्रकाशोत्सव
गुरुद्वारा में गूंजी गुरुवाणी गुरु गोविद की महिमा का गान
संतकबीर नगर: शहर के गुरुद्वारा में बुधवार को खालसा पंथ के संस्थापक गुरु गोविद सिंह का प्रकाशोत्सव समारोह श्रद्धा व उमंग से मना। गुरु सिंह सभागार में भव्य झांकी को सजाकर अखंड पाठ व गुरुवाणी हुई। गुरु कीर्तन करके संगत ने दशम गुरु के वीरता का बखान किया। वाहे गुरु का खालसा वाहे गुरु की फतह, बोले से निहाल की गूंज रही। गुरु के महान कार्यों का स्मरण करके अरदास रखी गई। अंत में लंगर करके प्रसाद वितरण हुआ।
गुरुद्वारा में लखनऊ से आए रागी जत्था के भाई गुरुमीत सिंह शबद कीर्तन व गुरुवाणी से निहाल किया। गायक हरिमहेंद्र पाल सिंह रोमी ने गुरु साहस व त्याग का गुणगान किया। सिख समुदाय के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आपसी सामंजस्य, समरसता के साथ गुरु के प्रति समर्पण व त्याग का भाव रहा। ज्ञानी जोगिद्र सिंह ने कहा कि गुरु के कार्य व बलिदान का इतिहास सदैव साक्षी रहेगा। मानवता, सदाचार, आपसी सद्भाव, भाईचारा का पालन कर निज स्वार्थों की तिलांजलि देने वाले गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की। अमृत पान कराकर पांच प्यारे को सिंह ( सिख) बनाया। अध्यक्ष सरदार अजीत सिंह ने कहा कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने मजहब विस्तार के लिए क्रूरता किया। उस समय गुरु ने रक्षा का वचन देकर निर्वहन किया। गुरु का सारा जीवन त्याग व बलिदान से परिपूर्ण है। धर्म रक्षा के लिए माता-पिता, चार पुत्रों, पत्नी समेत स्वयं कुर्बानी दी। गुरु को बहादुरी की प्रतिमूर्ति बताते हुए उनके सामाजिक, धार्मिक व साहसिक कार्यों पर प्रकाश डाला। संगत ने सवा लाख से एक लड़ाऊं तबै गोविद नाम कहाऊं गान से देश व धर्म की रक्षा करने वाले महापुरुष को नमन किया। इस अवसर पर सरदार हरिभजन सिंह, प्रीतपाल सिंह, राजेंद्रपाल सिंह, सतविदरपाल सिंह जज्जी, जसवीर सिंह, नरेंद्र सिंह, बलवंत कौर, रंजीत सिंह, परविदर सिंह, जसविदर, अमरजीत, राजपाल सिंह, शैंकी सिंह, परमजीत कौर, तरनजीत कौर, गुरुविदर कौर, कमलजीत कौर, मनजीत कौर आदि मौजूद रहे।