सीबीआइ ने माना पुलिसकर्मियों ने की मनीष की हत्या, लखनऊ की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल
सीबीआइ ने सभी छह पुलिसकर्मियों काे समान आशय से साजिश के तहत हत्या कर साक्ष्य मिटाने का दोषी बताया है।हत्यारोपित पुलिसकर्मी इस समय गोरखपुर जिला कारागार में निरुद्ध हैं। 10 जनवरी को उनकी कोर्ट में पेशी होनी है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआइ ने शुक्रवार को लखनऊ की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जांच में सीबीआइ ने सभी छह पुलिसकर्मियों काे समान आशय से साजिश के तहत हत्या कर साक्ष्य मिटाने का दोषी बताया है।हत्यारोपित पुलिसकर्मी इस समय गोरखपुर जिला कारागार में निरुद्ध हैं। 10 जनवरी को उनकी कोर्ट में पेशी होनी है।
दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने आए मनीष गुप्ता की रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में 27 सितंबर 2021 की रात में पुलिसकर्मियों ने पीटकर हत्या कर दी थी। 29 सितंबर को इस मामले में मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी की तहरीर पर रामगढ़ताल थाने पर तैनात रहे थाना प्रभारी जेएन सिंह, दारोगा अक्षय मिश्र, राहुल दुबे, विजय यादव, मुख्य आरक्षी कमलेश यादव और आरक्षी प्रशांत पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था।शासन के आदेश पर दो अक्टूबर से मामले की जांच कानपुर पुलिस की एसआइटी ने शुरू की।प्रदेश सरकार की सिफारिश पर दो नवंबर को सीबीआइ ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।65 दिन तक चली जांच में सीबीआइ ने घटना से जुड़े सभी पहलुओं करते हुए 30 लोगों का बयान दर्ज किया।जिसमें पाया गया कि मनीष गुप्ता की मौत पुलिसकर्मियों की पिटाई से हुई थी।
कब क्या हुआ :
27 सितंबर : होटल कृष्णा पैलेस में पुलिसकर्मियों ने मनीष की पीटकर हत्या कर दी।
28 सितंबर : हत्या का आरोप लगने पर एसएसपी ने सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया।
29 सितंबर : मीनाक्षी की तहरीर पर तीन नामजद समेत छह पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ।
29 सितंबर : मुकदमा दर्ज होने पर देर शाम स्वजन शव लेकर कानपुर पहुंचे।
30 सितंबर : प्रशासन के आश्वासन पर मनीष गुप्ता का अंतिम संस्कार किया गया।
02 अक्टूबर : कानपुर पुलिस की एसआइटी मामले की जांच करने गोरखपुर पहुंची।
10 अक्टूबर : रामगढ़ताल पुलिस ने हत्यारोपित इंस्पेक्टर जेएन सिंह व दारोगा अक्षय मिश्रा को पकड़ा।
12 अक्टूबर : दारोगा राहुल दुबे आरक्षी प्रशांत कुमार को गिरफ्तार किया।
13 अक्टूबर : मुख्य आरक्षी कमलेश यादव को कैंट पुलिस ने पकड़ा।
16 अक्टूबर : कैंट पुलिस ने छठे आरोपित दारोगा विजय यादव को गिरफ्तार किया।
02 नंबवर : सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।
07 जनवरी : सीबीआइ ने लखनऊ की विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया।