कैबिनेट मंत्री ने कहा-इसलिए हो रही चिडिय़ाघर निर्माण में देरी Gorakhpur News
गोरखपुर में निर्माणाधीन अशफाकउल्ला खां प्राणि उद्यान के निर्माण में हो रही देरी की वजह दुरुस्तगी है। इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जा रहा है।
गोरखपुर, जेएनएन। प्रदेश के वन, पर्यावरण और जंतु उद्यान मंत्री दारा सिंह चौहान ने कहा कि गोरखपुर में निर्माणाधीन अशफाकउल्ला खां प्राणि उद्यान के निर्माण में हो रही देरी की वजह दुरुस्तगी है। इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। पूरा विश्वास है कि प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश का सबसे खूबसूरत चिडिय़ाघर होगा। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष के अंत में निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा। निर्माण के दौरान धन की कमी नहीं होने दी जाएगी। उसके बाद जानवरों को लाने की प्रक्रिया शुरू होगी। 2020 के दूसरे हाफ में चिडिय़ाघर का लोकार्पण हो जाएगा।
पक्षी विहार का मिलेगा लुत्फ
वन मंत्री चिडिय़ाघर के निरीक्षण के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि 2008-2009 में चिडिय़ाघर के निर्माण के लिए 28 करोड़ रुपये मिले थे लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ लेकिन जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तब 160 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए। अनुपूरक बजट में भी 30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए। निर्माण में हो रही देरी के सवाल पर वन मंत्री ने सफाई दी कि नए कार्य जुटने से निर्माण की अवधि बढ़ी है। चिडिय़ाघर में 34 एकड़ के वेटलैंड में चर्चा करते हुए मंत्री ने कहा कि इससे इसमें आने वाले दर्शकों को पक्षी विहार का लुत्फ भी मिलेगा।
150 एकड़ भूमि पर जल्द होगा फैसला
चिडिय़ाघर के बगल में मौजूद जीडीए की 150 एकड़ भूमि को वन विभाग को सौंपे जाने के न्यायालय के निर्देश के सवाल पर वन मंत्री ने कहा कि जल्द कैबिनेट में इसपर फैसला लिया जाएगा। 121 एकड़ के चिडिय़ाघर में 150 एकड़ भूमि और जुड़ जाने से चिडिय़ाघर का स्वरूप और व्यापक हो जाएगा।
किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा बांस मिशन
बांस की खेती को लेकर सरकार की ओर से चलाए जा रहे अभियान के सवाल पर वन मंत्री ने कहा कि बांस मिशन के तहत प्रदेश सरकार मिर्जापुर से लेकर बुंदेलखंड तक बांस की खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए किसानों को सब्सिडी भी दी जा रही है। यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगी।
नोटिफाइड वेटलैंड बनेगा रामगढ़ताल
वन मंत्री ने बताया कि प्रदेश के सभी वेटलैंड क्षेत्र का सर्वेक्षण कर क्षेत्रफल के मुताबिक उसकी श्रेणी निर्धारित की जा रही है। सवा दो हेक्टेयर क्षेत्र वाले सभी वेटलैंड का नोटिफिकेशन कर उन्हें दर्शनीय बनाया जाएगा। इसके पीछे की मंशा इको टूरिज्म को बढ़ावा देना है। रामगढ़ताल इस सूची में सबसे ऊपर है।