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Bank Strike: बैंक कर्मचारियों की हड़ताल से गोरखपुर में पंद्रह सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित

Bank Strike हड़ताल से गोरखपुर में करीब 1500 करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। हड़ताल में इस बार स्टेट बैंककर्मियों के शामिल होने की वजह से कारोबार पर अधिक असर पड़ा है। मंगलवार को भी बैंककर्मियों की हड़ताल की वजह से बैंक बंद रहेंगे।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 07:10 AM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 07:10 AM (IST)
Bank Strike: बैंक कर्मचारियों की हड़ताल से गोरखपुर में पंद्रह सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित
गोरखपुर में जुलूस निकालते बैंक कर्मचारी। - जागरण

गोरखपुर, जेएनएन। निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन सभी सार्वजनिक बैंकों के अधिकारियों व कर्मचारियों ने धरना-प्रदर्शन कर शहर में जुलूस निकाला। इस दौरान कर्मियों ने सरकार से निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की। हड़ताल से गोरखपुर में करीब 1500 करोड़ रुपये के कारोबार प्रभावित होने का अनुमान है। हड़ताल में इस बार स्टेट बैंककर्मियों के शामिल होने की वजह से कारोबार पर अधिक असर पड़ा है। मंगलवार को भी बैंककर्मियों की हड़ताल की वजह से बैंक बंद रहेंगे। हड़ताल के कारण पूरे दिन लोग नकदी के लिए एटीएम पर निर्भर रहे।

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निजीकरण के विरोध में सड़क पर उतरे बैंक कर्मी

केंद्र सरकार द्वारा सार्वजनिक बैंकों को निजीकरण करने के फैसले के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले सोमवार को शहर के सभी बैंकों के अधिकारी एवं कर्मचारी बैंक रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक परिसर में एकत्र हुए। निजीकरण के फैसले के विरोध में प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। इसके बाद जुलूस की शक्ल में बैंक रोड, सिनेमा रोड, विजय चौराहा, गोलघर, कचहरी चौराहा, टाउनहाल चौराहा व अग्रसेन चौराहा होते हुए वापस बैंक रोड स्थित स्टेट बैंक पहुंचे जहां सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए सुजीत पांडेय ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों का शुद्ध लाभ साल दर साल बढ़ा है, जो रकम देश के विकास में खर्च होता है। 

कारपोरेट घरानों पर साधा निशाना

वहीं डीएचएफएल, पीएमसी बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक, यस बैंक आदि प्राइवेट बैंक डूूब गए, जिसमें जनता की गाढ़ी कमाई चली गई। इसके अलावा वहीं कारपोरेट घरानों का खराब ऋण जो 2015-16 में 154918 करोड़ रुपये था, वह 2019-20 में बढ़कर 200353 करोड़ रुपये हो गया। लेकिन सरकार इन कारपोरेट घरानों के खिलाफ कार्रवाई करने के इन्हें ही सार्वजनिक बैंकों को बेचने जा रही है। आशुतोष सिंह ने कहा कि प्राइवेट बैंक सिर्फ अपनी भलाई के लिए काम करते हैं।

इसका उदाहरण है कि जहां जनधन खाता शून्य बैलेंस पर खोला जाता है, वहीं प्राइवेट बैंक खाता खोलने के लिए न्यूनतम 10 हजार रुपये लेते हैं। ऐसे में सरकार का यह फैसला किसी भी दृष्टिकोण से न तो बैंककर्मियों के हित में है और न ही आम जनता तथा देश के हित में। सरकार को अपने इस फैसले को वापस लेना चाहिए। सोमवार को ही हड़ताल की वजह से चेक क्लीयरेंस समेत करीब 1500 करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ।

निजी बैंकों में चलता रहा कामकाज

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हड़ताल से निजी क्षेत्र के बैंकों पर कोई असर नहीं रहा। निजी क्षेत्र के बैंकों एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ, कोटक महिंद्रा, एक्सिस व इंडसइंड बैंक जैसे अन्य निजी बैंकों में कामकाज आम दिनों की तरह हुआ। कुछ सरकारी बैंकों के चेक क्लीयरेंस को छोड़ दिया जाए तो लेनदेन सामान्य दिनों की तरह ही चलता रहा।


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