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गोरखपुर में कोरोना कर्फ्यू से बेपटरी हुआ कारोबार, दुकानदारों ने प्रशासन से अनुमति मांगी Gorakhpur News

करीब एक माह से दवा फल किराना एवं सब्जी को छोड़ सभी तरह के कारोबार पूरी तरह बंद हैं। लगन और ईद के मौके पर दुकानें बंद होने से कपड़ा जूता-चप्पल ज्वेलरी बर्तन कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 22 May 2021 03:57 PM (IST)
गोरखपुर में कोरोना कर्फ्यू से बेपटरी हुआ कारोबार, दुकानदारों ने प्रशासन से अनुमति मांगी Gorakhpur News
कोरोना कर्फ्यूू दौरान गोरखपुर का दृश्‍य, जागरण।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना पर काबू पाने के लिए लगाई गई पाबंदियों से व्यापारियों को तगड़ा नुकसान हुआ है। बीते एक माह से कोरोना कफ्र्यू के चलते कपड़ा, मोबाइल, इलेक्ट्रानिक, इलेक्ट्रिक, ज्वेलरी, बर्तन, जूता-चप्पल, खिलौना आदि का करीब एक हजार करोड़ रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है।  दुकानों पर काम करने वाले हजारों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। मजदूरों को भी काम नहीं मिल  रहा है। ज्यादातर कारोबारी चाहते हैं सप्ताह में तीन दिन ही सही चार-चार घंटे दुकान खोलने की प्रशासन अनुमति दे ताकि नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके।

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करीब एक माह से दवा, फल, किराना एवं सब्जी को छोड़ सभी तरह के कारोबार पूरी तरह बंद हैं। लगन और ईद के मौके पर दुकानें बंद होने से कपड़ा, जूता-चप्पल, ज्वेलरी, बर्तन कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। लगन एवं ईद के लिए कारोबारियों ने महीनों पहले तैयारी की थी। इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रानिक्स बाजार को भी बड़ा झटका लगा है। अप्रैल-मई में कूलर, एसी, फ्रिज और पंखे की सर्वाधिक बिक्री होती है। सीजन आफ होने से इनकी बिक्री बहुत कम हो जाती है। हजारों कूलर एवं पंखे व्यापारियों के गोदामों में पड़े हुए हैं। जिले में छोटी-बड़ी मिलाकर करीब 20 हजार दुकानें हैं जिनमें एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। दुकानें बंद होने  से बहुत से कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है।

थोक वस्त्र व्यवसाई वेलफेयर सोसाइटी के राजेश नेभानी का कहना है कि ईद और लगन केे समय दुकानें बंद होने से करीब 450 करोड़ का कपड़े का प्रभावित हुआ है। डिजाइनर साडिय़ां, लहंगा, विदाई वाली चादर आदि सिर्फ लगन में बिकती हैं। डिजाइन पुराना होने पर ग्राहक उसका आधा दाम भी देना नहीं चाहते।   सप्ताह में तीन दिन सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक दुकानें खुलने की अनुमति मिल जाए तो कुछ हद तक नुकसान की भरपाई की जा सकती है।

चेंबर आफ इलेक्ट्रिकल गोरखपुर के मीडिया प्रभारी राजीव रस्तोगी का कहना है कि पिछले वर्ष का माल रुका हुआ है और बैंक का ब्याज अलग से देना पड़ रहा हैं। महानगर में इलेक्ट्रिकल्स की सैकड़ों दुकानें हैं और उससे संबंधित कर्मचारी, ठेले वाले, छोटे ट्रांसपोर्ट को मिलाकर हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। प्रशासन हफ्ते में रोस्टर बनाकर दुकानें खोलने की अनुमति दे ताकि फंसा माल (पंखा-कूलर) बिक सके।

सर्राफा मंडल गोरखपुर के महामंत्री महेश वर्मा का कहना है कि सर्राफा बाजार पूरी तरह बंद है। लगन से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन बंदी के कारण के सभी को नुकसान उठाना पड़ा। कारोबारी चाहते हैं कि सप्ताह में सिर्फ चार दिन दुकानें खुले तो भी वे नुकसान की भरपाई कर लेंगे। अगर दुकानें नहीं खुली तो सैकड़ों कारोबारी और वहां काम करने वाले हजारों कर्मचारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा।

आल इंडिया मोबाइल रिटेलर एसोसिएशन के महानगर अध्‍यक्ष दिनेश मोदी का कहना है कि दुकान का किराया, बिजली का बिल, स्टाफ की तनख्वाह, बैंक का ब्याज आदि की मार पड़ रही है। रही सही कसर ई-कामर्स कंपनियों ने पूरी कर दी है। लोगों को  आनलाइन सामान आसानी से मिल रहा है, ऐसे में कोरोना कफ्र्यू खत्म होने के बाद भी ग्राहक दुकानों तक नहीं आएगा।  दो दिन पहले मोबाइल विक्रेताओं ने उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा से ई-कामर्स कंपनियोंं पर अंकुश लगाने की मांग की थी। 


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