सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर बनी बसपा की नई कार्यकारिणी Gorakhpur News
आमतौर पर सभी पदों पर अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं को तरजीह देने वाली पार्टी ने इस बार सभी वर्ग के नेताओं का ख्याल रखा है।
गोरखपुर, जेएनएन। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की ओर से घोषित की गई नई जिला एवं महानगर कार्यकारिणी में सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले का इस्तेमाल किया गया है। आमतौर पर सभी पदों पर अनुसूचित जाति के कार्यकर्ताओं को तरजीह देने वाली पार्टी ने इस बार सभी वर्ग के नेताओं का ख्याल रखा है।
समीक्षा बैठकों में हुई थी घोषणा
बसपा प्रमुख मायावती ने विधानसभा उपचुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद संगठन की समीक्षा की थी। इसके बाद हर मंडल में आयोजित हुई समीक्षा बैठकों में सेक्टर प्रभारियों ने इस बात की घोषणा की कि जिलाध्यक्ष के पद पर किसी भी वर्ग के कार्यकर्ता को नियुक्त किया जा सकता है। इस फार्मूले का पालन जिलाध्यक्ष के पद पर तो नहीं हुआ लेकिन महानगर कार्यकारिणी में इसका असर देखने को मिला है।
ये बनाए गए हैं पदाधिकारी
बात जिला कार्यकारिणी की करें तो अध्यक्ष के रूप में अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता को महत्व दिया गया है। उपाध्यक्ष पद ब्राह्मण को तो महासचिव पद पर अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता को तरजीह दी गई है।
पहली बार महानगर अध्यक्ष बना सवर्ण कार्यकर्ता
महानगर कार्यकारिणी में अध्यक्ष पद पर सवर्ण वर्ग से आने वाले क्षत्रिय कार्यकर्ता को महत्व मिला है। उपाध्यक्ष पद अल्पसंख्यक को मिला तो महासचिव की जिम्मेदारी अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता को दी गई है। महानगर में सचिव की जिम्मेदारी ब्राह्मण वर्ग के कार्यकर्ता को सौंपी गई है।
जिला सचिव संभालेंगे विधानसभा की जिम्मेदारी
गोरखपुर जिला कार्यकारिणी में 17 जिला सचिव मनोनित किए गए हैं। इन्हें नौ विधानसभा क्षेत्रों में संगठन को मजबूत करने के साथ सभी वर्ग के लोगों को पार्टी से जोडऩा होगा।
सर्व समाज का रखा गया ख्याल
इस संबंध में जिला महासचिव हरि प्रकाश निषाद का कहना है कि बसपा सभी वर्गों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी है। नई कार्यकारिणी के गठन में भी सर्वसमाज का ख्याल रखा गया है।