चार नए साफ्टवेयर से चंद मिनट में टिकट तैयार कर रहे दलाल Gorakhpur News
लगन समाप्त होने के बाद लोग अपने तैनाती स्थल को जाने के लिए जिद़दोजहद कर रहे हैं। लंबी दूरी की ट्रेनों में सीटें फुल हैं। ऐसे में लोगों के सामने तत्काल टिकट का ही सहारा है लेकिन तत्काल टिकट के लिए भी मारामारी हो रही है।
गोरखपुर, जेएनएन: लगन समाप्त होने के बाद लोग अपने तैनाती स्थल को जाने के लिए जिद़दोजहद कर रहे हैं। लंबी दूरी की ट्रेनों में सीटें फुल हैं। ऐसे में लोगों के सामने तत्काल टिकट का ही सहारा है, लेकिन तत्काल टिकट के लिए भी मारामारी हो रही है। जालसाज प्रतिबंधित साफ्टवेयर के जरिये चंद मिनट में टिकट तैयार कर ले रहे हैं। जालसाजों की गिरफ्तारी में अब आरपीएफ व सीआइबी (क्राइम इंटेलीजेंस ब्रांच) की टीम जुट गई है। उधर रेलवे स्टेशन पर सुबह होने से पहले ही लोग आरक्षण केंद्र के सामने कतार में खड़े हो रहे हैं।
साफ्टवेयर व एक्सटेंशन के जरिये तैयार कर रहे टिकट
ई-टिकट के जालसाज इस समय जो चार प्रतिबंधित साफ्टवेयर व एक्सटेंशन का प्रयोग कर रहे हैं, यह साफ्टवेयर पहले से ज्यादा अत्याधुनिक हैं। यह चंद मिनट में ही 15 से 18 टिकट बनाने में कामयाब हो जा रहे हैं। इसमें ओसियन, तत्काल प्लस, होस्ट व कंडोम नामक साफ्टवेयर शामिल हैं।
ऐसे करता है काम
तत्काल टिकट काउंटर से बने या आप व्यक्तिगत आइडी से बनाएं, अधिकतम दो से पांच मिनट ही समय मिल पाता है। लिंक खुलते ही एक बटन दबाते ही उनका टिकट बुक होने के साथ ही पेमेंट तक हो जाता है। ऐसे में प्रतिबंधित साफ्टवेयर का जालसाज प्रयोग करते हैं। इस साफ्टवेयर के जरिये जालसाज रेलवे के सर्वर को भी स्लो कर देते हैं और अपना टिकट बना लेते हैं।
देवरिया से मुंबई तक फैला है रैकेट
टिकट जालसाजों का एक समूह है, जो वाटसएप के जरिये जुड़ा हुआ है। अगर किसी को टिकट बनवाना होता है तो वह इस ग्रुप में ही आइडी व अन्य जानकारी डाल देता है। इसके बाद संबंधित का टिकट तैयार कर उसके व्यक्तिगत नंबर पर दलाल भेज देते हैं और खाते में रुपये ट्रांसफर टिकट लेने वाला दलाल कर देता है।