Oxygen crisis in Gorakhpur: आक्सीजन की कमी से जूझ रहे अस्पतालों की मदद को आगे आया बीआरडी
जिला प्रशासन की मांग पर 80 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया है। इसके पूर्व भी 100 250 व 20 सिलेंडर की आपूर्ति की गई है। आगे भी अपनी व्यवस्था और जिले की जरूरत के अनुसार जिला प्रशासन को सिलेंडर उपलब्ध कराने का कालेज प्रशासन ने भरोसा दिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। आक्सीजन की कमी से जूझ रहे निजी अस्पतालों की मदद के लिए बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज आगे आया है। कालेज प्रशासन ने मंगलवार की देर रात जिला प्रशासन को 80 सिलेंडर आक्सीजन की आपूर्ति की है। इसके पूर्व भी जिला प्रशासन की मांग पर कालेज अपने स्टोर से आक्सीजन उपलब्ध कराता रहा है। पिछले एक सप्ताह में मेडिकल कालेज 450 सिलेंडर की आक्सीजन की आपूर्ति कर चुका है।
जिला प्रशासन की मांग पर 80 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराया गया है। इसके पूर्व भी 100, 250 व 20 सिलेंडर की आपूर्ति की गई है। आगे भी अपनी व्यवस्था और जिले की जरूरत के अनुसार जिला प्रशासन को सिलेंडर उपलब्ध कराने का कालेज प्रशासन ने भरोसा दिया है।
निजी अस्पतालों को नहीं मिले रहे पर्याप्त सिलेंडर
निजी कोविड अस्पतालों को पर्याप्त आक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं। एक अस्पताल ने 28 सिलेंडर आक्सीजन की मांग भेजी थी, उसे सिर्फ 12 सिलेंडर मिल पाए। जिला प्रशासन की मदद से पांच सिलेंडर और मिले। जबकि अस्पताल को 44 सिलेंडर की जरूरत है। इंदिरा नगर स्थित एक अस्पताल में आक्सीजन खत्म हो जाने पर अस्पताल प्रबंधन ने गंभीर मरीजों को दूसरी जगह ले जाने का फरमान जारी कर दिया। मरीजों के स्वजन के सामने संकट खड़ा हो गया कि उन्हें कहां लेकर जाएं। आनन-फानन में देर रात कुछ सिलेंडर की व्यवस्था हो पाई। किसी तरह गंभीर मरीजों को आक्सीजन दिया जा सका। हालांकि कोई अस्पताल संचालक खुलकर यह बोलने से परहेज कर रहा है कि उसके पास आक्सीजन की कमी है। लेकिन मरीजों स्वजन से वे साफ कह रहे हैं कि अपने लिए आक्सीजन की व्यवस्था स्वयं करें या मरीज को अन्यत्र ले जाकर इलाज कराएं। हमारे पास आक्सीजन नहीं है।
बीआरडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि हमारे पास आक्सीजन का उत्पादन नहीं होता है। हम भी खरीदते हैं। लेकिन स्टोर में 400 सिलेंडर हमेशा रिजर्व रहते हैं। इसलिए जरूरत पडऩे पर जिला प्रशासन को आक्सीजन उपलब्ध करा दिया जाता है। हमारी पूरी कोशिश है कि मरीज कहीं भर्ती हों, उनकी जान बचनी चाहिए। इस कार्य में जितना संभव होगा मैं योगदान करता रहूंगा।