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ब्रांडेड कंपनियों की एंटीबायोटिक व स्टेरायड बाजार से गायब, पांच से छह गुना बढ़ी मांग

गोरखपुर में इस समय सबसे ज्यादा मांग एंटीबायोटिक मोनोसेफ और स्टेरायड मेड्राल की है। ये खोजे भी नहीं मिल रही हैं। आइवरमेक्टिन पैरासिटामाल व एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लिन की भी कमी हो गई है। फेफड़े का संक्रमण खत्म करने वाली दवा मिथाइल प्रेडनिसोलोन गायब है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 13 May 2021 10:31 AM (IST)Updated: Thu, 13 May 2021 10:31 AM (IST)
ब्रांडेड कंपनियों की एंटीबायोटिक व स्टेरायड बाजार से गायब, पांच से छह गुना बढ़ी मांग
गोरखपुर में एंटीबायोटिक दवाओं की भारी कमी हो गई है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। पिछले सप्ताह पर्याप्त मात्रा में न तो रेमडेसिविर मिल रही थी और न ही आक्सीजन। डाक्टरों ने मरीजों की जान बचाने के लिए इनके विकल्प के रूप में एंटीबायोटिक इंजेक्शन व स्टेरायड दवाओं को लिखना शुरू किया। ये ये दवाएं कम मात्रा में आती है। इसलिए ब्रांड कंपिनयों की ये दवाएं बाजार से गायब हो गईं। सबसे ज्यादा मांग एंटीबायोटिक मोनोसेफ और स्टेरायड मेड्राल की है। ये खोजे भी नहीं मिल रही हैं। आइवरमेक्टिन, पैरासिटामाल व एंटीबायोटिक डाक्सीसाइक्लिन की भी कमी हो गई है। फेफड़े का संक्रमण खत्म करने वाली दवा मिथाइल प्रेडनिसोलोन गायब है। हालांकि लोकल कंपिनयों की दवाएं कुछ मात्रा में उपलब्ध हैं। जिससे मरीज काम चला रहे हैं।

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आक्‍सीजन का काम करती हैं यह दवाएं

संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। रोज आठ सौ से एक हजार लोग संक्रमित मिल रहे हैं। इनमें से जो मरीज गंभीर हो रहे हैं, उनमें से सभी को न तो बेड मिल रहा है और न ही आक्सीजन। इसलिए डाक्टर उनकी जान बचाने के लिए एंटीबायोटिक व स्टेरायड लिख रहे हैं। फुटकर से लेकर थोक मंडी तक में ब्रांड कंपिनयों की ये दवाएं गायब हो चुकी हैं।

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय उपाध्याय ने बताया कि रेमडेसिविर इंजेक्शन व आक्सीजन की कमी के कारण ज्यादातर डाक्टर स्टेरायड के इंजेक्शन लिख रहे हैं, इसमें साल मेड्राल प्रमुख है, जो बाजार में नहीं है। मांग में पांच से छह गुना की वृद्धि हुई है। एंटीबायोटिक मोनोसेफ भी खत्म हो गया है। इसके अलावा खून पतला करने वाली दवा एनेक्सोपैरिन सोडियम के इंजेक्शन की भी कमी हो गई है।

स्टेरायड रामबाण, अनियंत्रित उपयोग नुकसानदायक

सीना रोग विशेषज्ञ डा. वीएन अग्रवाल ने कहा कि स्टेरायड रामबाण औषधि है। संतुलित उपयोग से यह मरीज को फायदा ही पहुंचाती है। लेकिन इसका अनियंत्रित उपयोग नुकसानदायक हो सकता है। लंबे समय तक इसके उपयोग से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, गठिया की शिकायत हो जाती है। मोतियाबिंद, गैस्ट्रो, पेट में अल्सर, शरीर में सूजन आ सकती है।

प्रतिरोधक क्षमता को भी यह दवा कम करती है। इसके अलावा हार्ट व किडनी सहित सभी अंगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ सकता है। हृदय रोग विशेषज्ञ डा. आसिफ शकील ने कहा कि स्टेरायड का ज्यादा इस्तेमाल हार्ट की सक्रियता को कमजोर कर सकता है। हार्ट की आर्टिज में क्लाटिंग हो सकती है जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती है। मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. अमित कुमार शाही ने कहा कि स्टेरायड का अत्यधिक प्रयोग मानसिक रूप से कमजोर करता है।


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