आंख खराब कर दिमाग तक पहुंचा ब्लैक फंगस, लखनऊ रेफर Gorakhpur News
गोरखपुर में ब्लैक फंगस अब दिमाग की ओर तेजी से बढ़ रहा है। एक डाक्टरों ने गोरखपुर के एक मरीज को हायर सेंटर जाने को कह दिया है। स्वजन मरीज को लखनऊ स्थित एक नर्सिंग होम ले गए हैं। हालत गंभीर बताई जा रही है।
गोरखपुर, जेएनएन। ब्लैक फंगस का शिकंजा कसता जा रहा है। डाक्टरों की सलाह पर घर में इलाज करा रहे 50 वर्षीय व्यक्ति की एक आंख ब्लैक फंगस की वजह से खराब हो गई है। अब संक्रमण दिमाग की ओर तेजी से बढ़ रहा है। डाक्टरों ने हायर सेंटर जाने को कह दिया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में बेड उपलब्ध न होने के बाद स्वजन उन्हें लखनऊ स्थित एक नर्सिंग होम ले गए हैं। हालत गंभीर बताई जा रही है।
यह है मामला
50 वर्षीय व्यक्ति को पिछले महीने कोरोना का संक्रमण हुआ था। सांस लेने में दिक्कत हुई तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। कुछ दिनों आक्सीजन पर रखने के बाद हालत सुधरी तो डाक्टरों ने घर भेज दिया था। घर आने के कुछ दिनों के बाद नाक से काला पानी आने लगा और जबड़ों में तेज दर्द शुरू हो गया। अभी घर वाले डाक्टरों से सलाह लेते कि आंखें लाल हो गईं और आंख के आसपास तेज दर्द के साथ सूजन होना शुरू हो गया। स्वजन ने पहले आंख के डाक्टर से बात की तो उन्होंने फोन पर दवा बताई। फायदा न होने पर नाक, कान व गला रोग विशेषज्ञ से परामर्श को कहा।
आपरेशन न हुआ तो जीवन पर संकट
परीक्षण के बाद डाक्टर ने ब्लैक फंगस की पुष्टि कर दवाएं शुरू कर दीं। इलाज में इस्तेमाल होने वाला एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की पहली डोज किसी तरह व्यवस्था कर लगाई गई लेकिन दूसरी डोज नहीं मिल सकी। इधर, हालात लगातार बिगड़ती रही। संक्रमण के कारण एक आंख खराब हो गई है। डाक्टरों ने जल्द आपरेशन न होने पर जीवन पर खतरा बताया है।
लगातार मिल रहे मरीज
जिले में ब्लैक फंगस के लक्षणों वाले मरीज लगातार मिल रहे हैं। कुछ में हल्के लक्षण दिख रहे हैं तो कई में संक्रमण आंखों तक पहुंच चुका है। डाक्टरों का कहना है कि ज्यादा स्टेरायड का इस्तेमाल करने और कोरोना संक्रमण के कारण आक्सीजन सपोर्ट में ज्यादा रहने वालों में दिक्कत ज्यादा देखने को मिल रही है।
यह दवाएं दी जाती हैं
एंफोटेरिसिन बी, कास्पोफंजिन, मिकाफंजिन, फोस्फोमाइसिन, वोरिकोनाजोल
अब सरकारी नियंत्रण में मिलेगी ब्लैक फंगस की दवा
म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन अब सरकारी निगरानी में दिया जाएगा। सरकार ने दवा कंपनियों को इसके लिए स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं। पर्याप्त उपलब्धता होने तक यह इंजेक्शन रेमडेसिविर की तरह सरकारी नियंत्रण में रहेगा। अस्पतालों से इंजेक्शन के लिए मांग पत्र आएगा, इसके बाद दुकानों से इंजेक्शन की आपूर्ति की जाएगी।
ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीमारी से बचाव में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन के लिए लोग बाजार में पहुंचने लगे हैं। अस्पतालों से भी दवा की मांग की जा रही है। इसे देखते हुए नई व्यवस्था बनाई गई है।
दवा विक्रेता समिति के अध्यक्ष योगेंद्र नाथ दुबे ने बताया कि कंपनियों से स्टाकिस्टों को मेल कर ब्लैक फंगस के इलाज से जुड़ी दवाओं की बिक्री के बारे में पूरी सूचना मांगी है।
रेमडेसिविर की तरह दवा विक्रेता ब्लैक फंगस से जुड़ी दवाओं की बिक्री में प्रशासन का पूरा सहयोग करेंगे। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि दवाओं के लिए मांग आ रही है। कंपनियों से जल्द दवा आने की उम्मीद है। डाक्टर के पर्चे पर दुकानों से दवाएं दी जाएंगी। औषधि प्रशासन विभाग की टीम बिक्री पर नजर रखेगी।