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विधानसभा चुनाव 2022 : भाजपा नेताओं की दावेदारी पर गठबंधन की राजनीति का ग्रहण

कुछ भाजपा नेता तो सहयोगी दलों के सिंबल पर भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी के साथ-साथ सहयोगी दलों के सामने भी अपना पत्ता खोल दिया है। इसके पीछे की वजह पार्टी द्वारा सहयोगी दलों को प्राथमिकता देना है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sat, 22 Jan 2022 12:12 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 06:03 PM (IST)
विधानसभा चुनाव 2022 : भाजपा नेताओं की दावेदारी पर गठबंधन की राजनीति का ग्रहण
गठबंधन की गणित में अटकी भाजपा के दावेदारों की सांस। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, डा. राकेश राय, गोरखपुर। टिकट को लेकर भाजपा में इन दिनों पर जमकर घमासान मचा हुआ है। घमासान की एक बड़ी वजह पार्टी का अन्य दलों से गठबंधन है। इसके चलते नए दावेदारों के साथ-साथ वर्तमान विधायक भी टिकट की दौड़ में खुद को असुरक्षित पा रहे हैं। उनकी सांस भी उसी तरह अटकी है, जैसे की अन्य दावेदारों की। उन्हें यह भय सता रहा है कि कहीं वह गठबंधन की बलि न चढ़ जाएं। इस भय से कुछ विधायकों के गठबंधन वाले दलों से जुड़कर खुद को सुरक्षित करने की बात भी सामने आने लगी है।

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भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं सहायेगी दल

कुछ भाजपा नेता तो सहयोगी दलों के सिंबल पर भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी के साथ-साथ सहयोगी दलों के सामने भी अपना पत्ता खोल दिया है। इसके पीछे की वजह पार्टी द्वारा सहयोगी दलों को प्राथमिकता देना है, उन्हें पहले से अधिक सीट देना है। निषाद पार्टी से भाजपा का समझौता 15 सीटों को लेकर हुआ है। अपना दल को भाजपा ने पहले के मुकाबले डेढ़ गुना सीट देने का आश्वासन दिया है।

संजय निषाद ने पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के सभी जिलों में मांगी एक-एक सीट

निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद ने भाजपा से पूर्वी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से कम से कम एक सीट मांगी है। गोरखपुर ग्रामीण सीट को लेकर तो प्रतिष्ठा तक लगा दी है। संजय इस सीट अपने बेटे श्रवण निषाद को प्रत्याशी बनाना चाह रहे हैं। श्रवण के मुताबिक इस सीट को लेकर उन्हें भाजपा नेतृत्व से आश्वासन मिल चुका है। हालांकि भाजपा की ओर से इसे लेकर स्पष्ट घोषणा न होने से असमंजस की स्थिति अभी भी बनी हुई है। ऐसे में वर्तमान विधायक विपिन सिंह हर स्तर पर अपनी चुनावी गणित बैठाने में लगे हुए हैं।

अपना दल एस को लेकर भी दावेदार परेशान

कमोबेस यही स्थिति कुशीनगर के तमकुही राज, देविरया के रुद्रपुर, संतकबीर नगर के मेहदावल और महाराजगंज के नौतनवां विधानसभा सीट को लेकर भी है। उधर अपना दल एस को लेकर भी दावेदार खासे परेशान हैं। गोरखपुर-बस्ती मंडल से बीते विधानसभा चुनाव में अपना दल को एक सीट मिली थी और शोहरतगढ़ सीट से इसके प्रत्याशी चौधरी अमर सिंह विधायक चुने गए थे। चौधरी अमर बदली परिस्थितियों सपा के पाले में जा चुके हैं, ऐसे में अपना दल की इस सीट की गाज किस विधायक या मजबूत दावेदार गिरेगी, इसे लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है।

क्षेत्रीय अध्यक्ष के दिल्ली जाने से खलबली

दो दिन पहले धरातल पर प्रत्याशियों की स्थिति जानने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने क्षेत्रीय अध्यक्ष डा. धर्मेंद्र सिंह को दिल्ली बुलाया था। वह टिकट को लेकर क्षेत्रीय स्तर पर बने पैनल की रिपोर्ट लेकर गए थे। दिल्ली के बाद डा. धर्मेंद्र उसके बाद पार्टी के लखनऊ स्थित कार्यालय भी भेजे गए। इसे लेकर दावेदारों में खलबली है। उन्होंने किसकी क्या रिपोर्ट दी, इसे जानने के लिए दावेदारों में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि अभी तक इस यात्रा का परिणाम दावेदारों के लिए पहली ही बना हुआ है।


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