किसानों को बड़ी राहत, सौ कुंतल तक धान बेचने को नहीं होगी सत्यापन की जरूरत
Paddy Purchase अब 100 कुंतल तक धान बेचने के लिए तहसीलों के सत्यापन की जरूरत नहीं रहेगी किसान बिना सत्यापन के ही इतना धान बेच सकेंगे। पहले 50 कुंतल तक धान बेचने वाले किसान ही सत्यापन से मुक्त थे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। धान क्रय शुरू होने से पहले शासन की ओर से किसानों को बड़ी राहत दी गई है। अब 100 कुंतल तक धान बेचने के लिए तहसीलों के सत्यापन की जरूरत नहीं रहेगी, किसान बिना सत्यापन के ही इतना धान बेच सकेंगे। पहले 50 कुंतल तक धान बेचने वाले किसान ही सत्यापन से मुक्त थे। शासन की ओर से इस संंबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
शासन की ओर से जारी किया गया आदेश, किसानों को नहीं करनी पड़ेगी भागदौड़़
धान बेचने के लिए किसानों को आनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है। अब तक 50 कुंतल से अधिक धान बेचने वाले किसानों को पंजीकरण के बाद तहसीलों से सत्यापन भी कराना होता था। सत्यापन रकबा एवं उपज को लेकर किया जाता था। नई व्यवस्था में 100 कुंतल तक धान बेचना है तो इसकी जरूरत नहीं होगी हालांकि भूलेख में दर्ज नाम से पंजीकृत किसान का नाम न मिलने की स्थिति में तहसीलों से सत्यापन की जरूरत होगी। यह सत्यापन केवल किसान की पहचान पुष्ट करने तक सीमित होगा। 100 कुंतल से अधिक धान बेचना है तो रकबा, उपज आदि का भी सत्यापन एसडीएम के स्तर से किया जाएगा। धान खरीद के लिए आनलाइन पंजीकरण के दौरान सरकार ने किसानों को नामिनी की अनिवार्यता से भी मुक्ति दे दी है।
चकबंदी वाले गांव में कराना होगा सत्यापन
जिन गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया चल रही है, वहां के किसानों को हर हाल में रकबा एवं उपज का भी सत्यापन कराना होगा भले ही उनके धान की मात्रा कितनी भी हो। चकबंदी वाले गांव भूलेख से ङ्क्षलक नहीं होते हैं इसलिए तहसील से सत्यापन कराया जाएगा।
एक नवंबर से होगी खरीद
जिले में एक नवंबर से धान की खरीद की जानी है। यहां करीब 131 केंद्र बनाए जा रहे हैं, इसमें से 101 को जिलाधिकारी के स्तर से अनुमोदन मिल चुका है। करीब 4500 किसानों ने पंजीकरण करा लिया है और तीन हजार से अधिक किसानों का तहसीलों से सत्यापन भी हो चुका है। इस साल सरकार की ओर से साधारण धान की श्रेणी में 1940 रुपये प्रति कुंतल तो ग्रेड ए के धान के लिए 1960 रुपये प्रति कुंतल न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।
धान खरीद में किसानों की सुविधा के लिए शासन की ओर से बिना सत्यापन के 100 कुंतल तक धान बेचने की अनुमति दे दी गई है। इससे सत्यापन में लगने वाला समय बच सकेगा। साथ ही पंजीकरण के समय नामिनी का नाम दर्ज कराने की अनिवार्यता भी समाप्त हो गई है। - राकेश मोहन पांडेय, डिप्टी आरएमओ।
घटा गेहूं का उत्पादन, 6286 किसानों के खाते में भेजे गए 1.22 करोड़
वर्ष 2020-21 में गेहूं की कम पैदावार को लेकर जिले के 6286 किसानों को 1.22 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा के तहत यह रकम पिछले सप्ताह सीधे किसानों के खाते में भेजी गई है। रबी सीजन में फसल क्षति को लेकर किसानों के खाते में भेजी जाने वाली यह सबसे बड़ी रकम है। बाढग़्रस्त इस जिले में गेहूं की पैदावार अ'छी होती है। जिले में तमाम किसान ऐसे हैं, जो नुकसान के डर से धान की खेती ही नहीं करते हैं। गेहूं की बोआई करके वह धान में होने वाले नुकसान की भरपाई करते हैं। इसका परिणाम है कि जिले में धान की अपेक्षा गेहूं का क्षेत्रफल अधिक रहता है। जिले में कार्यरत भारत सरकार की बीमा कंपनी एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आफ इंडिया लिमिटेड के जिला प्रबंधक धर्मेंद्र कुशवाहा ने बताया कि गोरखपुर जिले के किसानों को रबी सीजन के लिए इससे बड़ी राशि कभी नहीं दी गई।