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भाटपाररानी तहसील क्षेत्र ग्रामीण अस्पतालों में डाक्टर नहीं, मरीज परेशान

भाटपाररानी विकास खंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जसुई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाटपाररानी न्यू पीएचसी रधुनाथपुर न्यू पीएचसी खामपार न्यू पीएचसी कुकुरघांटी न्यू पीएचसी भिगारी बाजार व बनकटा विकास खण्ड क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटान्यू पीएचसी सोहनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भुड़वार न्यू पीएचसी रामपुर न्यू पीएचसी चकिया कोठी ग्रामीणों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए खोला गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 May 2021 06:16 AM (IST)Updated: Sun, 30 May 2021 06:16 AM (IST)
भाटपाररानी तहसील क्षेत्र ग्रामीण अस्पतालों में डाक्टर नहीं, मरीज परेशान
भाटपाररानी तहसील क्षेत्र ग्रामीण अस्पतालों में डाक्टर नहीं, मरीज परेशान

देवरिया : कोरोना महामारी के इस समय में भी भाटपार रानी तहसील क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। स्वास्थ्य सेवा पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही। यूपी-बिहार कि सरहद पर स्थित इस पिछड़े इलाके में एक भी कोविड अस्पताल की व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में आपदा के इस समय में मरीजों का इलाज कैसे हो यह सवाल उठना लाजमी है। अस्पतालों में चिकित्सक के नहीं रहने के कारण झोलाछाप की शरण में जाना मरीजों की मजबूरी बन गई है।

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भाटपाररानी विकास खंड में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जसुई, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाटपाररानी, न्यू पीएचसी रधुनाथपुर, न्यू पीएचसी खामपार, न्यू पीएचसी कुकुरघांटी, न्यू पीएचसी भिगारी बाजार व बनकटा विकास खण्ड क्षेत्र में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकटा,न्यू पीएचसी सोहनपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भुड़वार, न्यू पीएचसी रामपुर, न्यू पीएचसी चकिया कोठी ग्रामीणों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के लिए खोला गया है। लेकिन महामारी के इस दौर में ये अस्पताल मरीजों के मंसूबों पर खरा नहीं उतर रहे हैं। तैनाती के बाद भी अस्पतालों पर चिकित्सक के नहीं रहने के कारण लोग प्राइवेट डाक्टरों का सहारा ले रहे हैं। अस्पतालों का है ये हाल

इन अस्पतालों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाटपाररानी व बनकटा को छोड़ कहीं भी चिकित्सक रात्रि विश्राम नहीं करते, जिससे रात में मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है। रामपुर अस्पताल में तो अक्सर ताला लटका रहता है। यहां फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा अस्पताल

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जसुई झाड़ झंखाड़ से पटा हुआ है। यहां लगे संयंत्र धूल फांक रहे हैं। फार्मासिस्ट के भरोसे यह अस्पताल चल रहा है। यही हाल नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चकिया कोठी का भी है। साल भर से किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं होने से लोग परेशान हैं। अब तक नहीं बना कोविड अस्पताल बिहार से सटा होने के चलते इस इलाके में महामारी फैलने की आशंका ज्यादा है। बावजूद इसके अब तक क्षेत्र में कहीं भी कोविड अस्पताल नहीं बन पाया है। जिससे मरीज मुश्किल में हैं। तय करनी पड़ती है लंबी दूरी इमरजेंसी होने पर मरीजों को 45 से 50 किलोमीटर की दूरी तय कर जिला अस्पताल जाना पड़ता है। सुविधा नहीं होने से मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल जाते- जाते हैं उनकी हालत बिगड़ जाती है। इन सुविधाओं का अभाव

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाटपाररानी में 6-7आक्सीजन सिलिडर तो उपलब्ध है लेकिन आक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भाटपाररानी व बनकटा को छोड़ दिया जाए तो अन्य अस्पतालों पर दवाएं उपलब्ध नहीं है। किसी तरह इन अस्पतालों पर कार्य चलाया जा रहा है। .प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. कृष्ण मुरारी राय ने कहा कि आक्सीजन सिलिडर समेत सभी दवाएं उपलब्ध है। एम्बुलेंस में भी आक्सीजन सिलिडर की व्यवस्था है। जसुई की हालत खराब है। उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। कोरोना संक्रमित मरीजों पर विशेष ध्यान है।

सीएमओ डा. आलोक पांडेय ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है, उसके निदान का प्रयास किया जा रहा है। कुछ चिकित्सकों की ड्यूटी दूसरे जगह कोरोना के चलते लगाई गई है। चिकित्सक की तैनाती जल्द की जाएगी। दवा की कमी कहीं नहीं है।


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