भारत-नेपाल के बीच सदियों से कायम है रोटी-बेटी का रिश्ता Gorakhpur News
भारत-नेपाल सीमा कभी दोनों देशों के लोगों के लिए बाधक नहीं बनी। महराजगंज के नो मेंस लैंड पर बजने वाली शहनाई की धुन सुनकर लगता ही नहीं कि बरात दूसरे देश में जा रही है। ससुराल आने वाली बहुओं को भी दोनों देश कभी पराये नहीं लगे।
विश्वदीपक त्रिपाठी, गोरखपुर : भारत-नेपाल सीमा कभी दोनों देशों के लोगों के लिए बाधक नहीं बनी। सुख, दुख, धर्म, संस्कृति, बोली, भाषा सब साझा। एकरूपता ऐसी कि रोटी-बेटी का रिश्ता सदियों से निभ रहा है। महराजगंज के नो मेंस लैंड पर बजने वाली शहनाई की धुन सुनकर लगता ही नहीं कि बरात दूसरे देश में जा रही है। घर परिवार छोड़कर मन में हजारों सपने लिए ससुराल आने वाली बहुओं को भी दोनों देश कभी पराया नहीं लगे। अपने सगे संबंधियों की अवश्यक जरूरतों के लिए भी लोग तत्परता से खड़े रहते हैं। बीते मार्च से सीमा सील होने के बाद भी यह रिश्ता मजबूती के साथ जुड़ा है।
जीवन बचाने के लिए आगे आए सगे- संबंधी
कोरोना संक्रमण के चलते जब सीमा सील हुई तो सबसे अधिक समस्या उन मरीजों के लिए थी, जो एक- दूसरे देश में चिकित्सकों के यहां इलाज करा रहे थे। गोरखपुर, लखनऊ व दिल्ली आदि महानगरों में डाक्टरों को दिखाने वाले नेपाली मरीजों को दवा के लिए जूझना पड़ रहा था। ऐसे में भारत में रह रहे रिश्तेदार संबल बन के खड़े हो गए। वाट्सएप पर दवा की पर्ची मंगाकर जीवन रक्षक दवाएं एसएसबी से अनुमति लेकर नेपाल पहुंचाई गईं । कमोवेश यही स्थिति नेपाल में इलाज कराने वाले भारतीय मरीजों की भी रही।
धार्मिक स्थालों पर जुटती है भीड़
दोनों देशों के धार्मिक स्थलों पर भी एक-दूसरे देश के लोग खूब जुटते हैं। बात गौतम बुद्ध की जन्मस्थली लुंबनी की हो या फिर त्रिवेणी थाम, पशुपतिनाथ मंदिर काठमांडू, मुक्तिनाथ व मदारस्थान की। हर जगह भारतीय श्रद्धालु नजर आ जाते हैं। भारत में मौजूद धर्मस्थलों का भी यही हाल है। महराजगंज के निचलौल स्थित ईटहिया मंदिर, मां बनौलिया मंदिर, लेहड़ा देवी मंदिर व गोरखपुर के प्रसिद्ध गुरु गोरक्षनाथ मंदिर पर खिचड़ी के मेले में बड़ी संख्या में नेपाली श्रद्धालु पहुंचते हैं।
मीठे रिश्ते के डोर से बंधी है सरहद
महराजगंज जिले के सीमावर्ती नौतनवा व निचलौल तहसील व नेपाल के रुपनदेही व नवलपरासी के अधिकांश लोगों की रिश्तेदारियां एक- दूसरे देश में हैं। पड़ोसी देश नेपाल में अपने बहन की शादी किए बरगदवां निवासी रमेश, निचलौल के श्यामबदन व रामकरन ने कहा कि बहन की शादी दूसरे देश में किए हैं, यह पता ही नहीं चला। नौतनवां के मनोज त्रिपाठी की शादी नेपाल के धकधई में हुई है। यहीं के अरविंद त्रिपाठी भी सात फेरे लेने नेपाल के मर्चवार गए थे। दोनों ने बताया कि नेपाल कभी दूसरा देश लगा ही नहीं। सीमा पर आवागमन में भी बहुत असुविधा नहीं होती है।
फैक्ट फाइल
-भारत-नेपाल के बीच सीमा की लंबाई 1750 किलोमीटर है।
-भारत से लगी सीमा पर पिलरों की संख्या 8553 है। इनमें से 1856 क्षतिग्रस्त हैं।
- महराजगंज में पिलरों की संख्या 44 है।
-महराजगंज में नेपाल से सटा सीमा क्षेत्र 65 किलोमीटर।
- एसएसबी की कुल चौकियां 455
-सीमा पर कुल 83 कंट्रोल प्वाइंट बनाने की योजना
सीमा पर बनी रहती है सामान्य स्थिति
महराजगंज के जिलाधिकारी डा. उज्ज्वल कुमार ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच रिश्ते बेहतर हैं। इसके चलते सीमा पर स्थिति सामान्य बनी रहती है। लोग अपने बेटे-बेटियों की शादियां भी एक- दूसरे देश में करते हैं। समय-समय पर नेपाल के अधिकारियों के साथ बैठक कर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी होती है।