केले के बेकार तने से बन रही खूबसूरत टोपी, डोर मैट, चटाई एवं अन्य सामग्री Gorakhpur News
प्रदेश सरकार ने केले के रेशे से बनने वाले उत्पादों (बनाना फाइबर प्रोडक्ट) को एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल किया है। कचहरी क्लब में इनके उत्पाद बिक रहे हैं।
गोरखपुर , जेएनएन। कुशीनगर जिले में केले की खेती करने वाले किसानों के लिए फल काटने के बाद बेकार हो चुके तने को हस्तशिल्पी अपनी कला से नई पहचान देने में लगे हैं। प्रदेश सरकार ने केले के रेशे से बनने वाले उत्पादों (बनाना फाइबर प्रोडक्ट) को एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल किया है। कचहरी क्लब में लगे शिल्प बाजार में शिल्पकारों की कला को खूब सम्मान मिल रहा है।
ऐसे तैयार होते हैं सुंदर उत्पाद
टोपी, डोर मैट, चटाई सहित करीब तीन दर्जन उत्पादों को देखकर कोई भी आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकता। जब यह जानकारी मिलती है कि सभी उत्पाद केले के रेशे से तैयार हैं तो लोगों की रुचि और बढ़ जाती है। शिल्प बाजार में कुशीनगर एवं देवरिया से शिल्पकार अपने उत्पादों के साथ आए हैं। कुशीनगर से आए हरिकेश के अनुसार वे किसानों से केले का तना लेकर आते हैं और मशीन से रेशा निकालते हैं। रेशा तीन श्रेणियों का होता है, जिसके अनुसार उसका प्रयोग किया जाता है। रेशे को बुनकर रस्सी बनाई जाती है और उसी से उत्पाद बनाए जाते हैं। रेशे को रंगने का भी विकल्प रहता है। हरिकेश बताते हैं कि इस कला ने जीवन बदल दिया है। कोई भी उत्पाद बनाने में अधिक समय नहीं लगता। इस काम में स्वामी विवेकानंद सेवा समिति के भगवान यादव से काफी मदद मिलती है।
ओडीओपी में शामिल होने के बाद मिल रही तवज्जो
कुशीनगर जिले के ओडीओपी में शामिल होने के बाद इन उत्पादों को खूब तवज्जो मिल रहा है। शिल्पी भी प्रशिक्षण केंद्रों में नई डिजाइन सीख रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार भी मिलने लगा है। हरिकेश बताते हैं कि आस्ट्रेलिया से धागे की मांग आई है।
आ रहे मकराना मार्बल के शेरों के कद्रदान
शिल्प बाजार में सोमवार को मकराना मार्बल के शेरों के कद्रदान पहुंचे। खूब मोलभाव हुआ। एक शेर की कीमत कुछ ग्राहकों की ओर से एक लाख रुपये लगाई गई लेकिन दुकानदार इसपर सहमत नहीं हुए।