आरटीपीसीआर जांच पर सवाल, पॉजिटिव की रिपोर्ट आ रही निगेटिव
RT PCR Coronavirus Testing Kit News विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीजन की जांच सौ फीसद खरी है। इस जांच में पाजिटिव आने के बाद आरटीपीसीआर जांच कराने की जरूरत नहीं है। यदि रिपोर्ट निगेटिव आई तो भी एंटीजन को ही सही मानें और 10 दिन होम क्वारंटाइन रहें।
गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। 'RT PCR Coronavirus Testing Kit News' : कभी एंटीजन से अधिक प्रामाणिक मानी जाने वाली रीयल टाइम पालीमरेज चेन रियेक्शन (आरटीपीसीआर) जांच अब कोरोना के बदलते स्वरूप के कारण दूसरे नंबर पर आ गई है। वह कोरोना वायरस को पकड़ नहीं पा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एंटीजन की जांच सौ फीसद खरी है। इस जांच में पाजिटिव आने के बाद आरटीपीसीआर जांच कराने की जरूरत नहीं है। यदि कराई और रिपोर्ट निगेटिव आई तो भी एंटीजन को ही सही मानें और 10 दिन होम क्वारंटाइन रहें। इसके बाद पुन: एंटीजन जांच कराएं। निगेटिव आने पर ही घर से बाहर निकलें।
कोरोना वायरस के बदलते स्वरूप को पकड़ नहीं पा रही आरटीपीसीआर किट
एंटीजन किट से पाजिटिव आए अनेक लोगों की आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है। बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह का कहना है कि कोरोना के जीन में बदलाव के चलते आरटीपीसीआर की अनेक किट उसके जीन को पकड़ नहीं पा रही हैं। एंटीजन किट उसके बाहरी स्वरूप को पकड़ती है, इसलिए उसकी जांच सौ फीसद सही है। यदि एंटीजन से जांच रिपोर्ट निगेटिव आए तो वह संदेहास्पद हो सकती है, लेकिन पाजिटिव रिपोर्ट में संदेह की गुंजाइश नहीं है।
एंटीजन व आरटीपीसीआर जांच में अंतर
एंटीजन किट कोरोना के स्पाइक प्रोटीन (बाहरी स्वरूप) को पकड़ती है। उसमें कोई बदलाव न होने से वह पूरी तरह कोरोना को पहचानने में कामयाब हो रही है। आरटीपीसीआर किट से कोरोना के जीन की जांच होती है। हाल में इस वायरस के जीन में तेजी से बदलाव हुआ है। इसलिए अनेक किट इसके जीन को पकड़ नहीं पा रही हैं और रिपोर्ट निगेटिव आ जा रही है।
इस समय कोरोना के जीन तेजी से बदलाव हुआ है। इस वजह से आरटीपीसीआर किट उसे पकडऩे में सक्षम नहीं हो पा रही है। एंटीजन उसके बाहरी स्वरूप को पकड़ती है, उसमें कोई बदलाव न होने से उसकी रिपोर्ट सौ फीसद सही आ रही है। इसलिए एंटीजन की जांच रिपोर्ट पर भरोसा करें और पाजिटिव आने पर पूरी सतर्कता बरतें। - डा. अमरेश सिंह, अध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी विभाग, बाबा राघव दास मेडिकल कालेज।