बापू की प्रेरणा ने महेश को बनाया झाड़ू बाबा, भोर में ही करते हैं मोहल्ले की सफाई Gorakhpur News
स्वच्छता के प्रहरी महेश शुक्ला को उनके काम ने न केवल झाड़ू बाबा नाम दिया बल्कि नई पहचान भी दी। 11 वर्षों से चल रहे अभियान के दौरान कई बार लोगों ने सफाईकर्मी समझ ज्ञान भी दिया।
गोरखपुर, जेएनएन। रात के तीसरे पहर में शास्त्रीनगर के लोग जब गहरी नींद में होते हैं, 'झाड़ू बाबा उस वक्त स्वच्छता की मुहिम को आगे बढ़ाने में जुटे रहते हैं। मोहल्ले वालों की 'गुड मार्निंग से पहले वह एक किलोमीटर दायरे में झाड़ू लगाकर घर लौट जाते हैं। शाम को लोगों से मिलकर वह घरों के बाहर गंदगी न फैलाने की भी अपील करते हैं।
लोग समझ लिए थे सफाईकर्मी
स्वच्छता के प्रहरी महेश शुक्ला को उनके काम ने न केवल झाड़ू बाबा नाम दिया बल्कि नई पहचान भी दी। 11 वर्षों से चल रहे अभियान के दौरान कई बार लोगों ने उन्हें सफाईकर्मी समझ ज्ञान भी दे डाला पर इसे नजरअंदाज कर वह मिशन में जुटे रहे। पहले वह घर के आसपास ही सफाई करते थे पर अब दायरा बढ़ गया है। उनसे प्रेरित होकर कई और लोग भी उनके साथ जुड़ गए हैं। शाम को अगर किसी दुकान या मकान के आगे कूड़ा दिखता है तो वह लोगों से ऐसा न करने की अपील भी करते हैं।
गांधी की किताब से मिली प्रेरणा
महेश शुक्ल ने बताया कि 11 वर्ष पूर्व वह ट्रेन से यात्रा कर रहे थे। उस समय बगल में बैठे व्यक्ति महात्मा गांधी पर लिखी किताब पढ़ रहे थे। उनके सो जाने पर मैं वह किताब पढऩे लगा, जिसमें बापू ने स्वच्छता को लेकर अपने अनुभव लिखे थे। जैसे-जैसे मैं किताब के पन्ने पलटता गया, सफाई को लेकर नजरिया बदलता गया। घर पहुंचते ही मैंने भी सफाई का संकल्प ले लिया।
पत्नी बोलीं, क्या कहेंगे लोग
महेश बताते हैं कि पहली बार जब मैं झाड़ू लेकर घर से निकला तो पत्नी ने पूछा कि कहां जा रहे हैं आप। मैंने मोहल्ले की सफाई करने की बात बताई तो वह आश्चर्य में पड़ते हुए बोलीं कि लोग क्या कहेंगे। महेश ने कहा कि यदि गांधी जी ने इसकी परवाह की होती तो शायद वह कभी महात्मा नहीं बन पाते। बाद में पत्नी और बेटी भी उनको प्रोत्साहित करने लगीं।
इस मेहनत का मजा ही अलग
महेश ने बताया कि सुबह 3:30 से 5:30 तक सफाई करता हूं। ठंड में भी खूब पसीना निकलता है। इस मेहनत का मजा ही अलग है। कई बार लोग सफाईकर्मी समझकर निर्देश भी देते हैं, लेकिन मुझे बुरा नहीं लगता। मैं चाहता हूं कि सभी लोग आगे आएं।