गोरखपुर एम्स का बुरा हाल, डाक्टरों का धैर्य टूटा, संयुक्त सचिव के सामने रोया दुखड़ा
पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचे भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव नीलांबुज शरण को तैयारियां अधूरी लगीं। इसे लेकर उन्होंने नाराजगी जताई और कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन को लेकर रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंचे भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव नीलांबुज शरण को तैयारियां अधूरी लगीं। इसे लेकर उन्होंने नाराजगी जताई और कार्य शीघ्र पूरा करने का निर्देश दिया। इसी बीच एम्स के डाक्टरों का भी धैर्य टूट गया। वे संयुक्त सचिव के सामने पहुंचे और एम्स की कमियों व दुश्वारियों को लेकर अपना दुखड़ा रोया। उन्होंने साफ कहा है कि कार्यकारी निदेशक व उनके कार्यालय के लोग किसी भी फेकेल्टी (डाक्टर) से सम्मानजनक व्यवहार नहीं करते, इससे डाक्टर स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं।
जल्दी पूरा हो जाएगा 300 बेड का निर्माण
संयुक्त सचिव ने आइपीडी, ओपीडी आदि का निरीक्षण करने के बाद बैठक की और प्रगति केे बारे में जानकारी ली। बताया गया कि 300 बेड का निर्माण नवंबर के आखिरी सप्ताह या फिर दिसंबर के पहले सप्ताह में पूरा हो जाएगा। 400 बेड के निर्माण के लिए समय लगेगा। उन्होंने शीघ्र निर्माण पूरा करने का निर्देश दिया। कार्यकारी निदेशक डा. सुरेखा किशोर ने बताया कि संयुक्त सचिव बहुत प्रसन्न थे। प्रधानमंत्री के आगमन के पूर्व सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी।
45 डाक्टरों ने सौंपा ज्ञापन
इस बीच एम्स की व्यवस्था से क्षुब्ध डाक्टरों ने संयुक्त सचिव को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन पर 45 डाक्टरों के हस्ताक्षर हैं। डाक्टरों ने कहा है कि कार्यकारी निदेशक से मिलने के लिए उन्हें घंटों व पूरे दिन इंतजार करना पड़ता है, जिससे कार्य प्रभावित होता है।
अस्पताल तो खुला, पर इलाज की सुविधा नदारद
एम्स में आनन-फानन में अस्पताल तो खोल दिया गया लेकिन इलाज की सुविधाएं नदारद हैं। यह बात डाक्टरों ने संयुक्त सचिव को दिए ज्ञापन में स्पष्ट की हैं। कहा है कि देश के कोने-कोने से हम पूर्वांचल की स्वास्थ्य व्यवस्था समृद्ध करने के लिए आए लेकिन यहां बहुत दर्द में हैं। इलाज में रोजाना उपयोग की जाने वाली चीजें सिरिंज आदि नहीं मिल रहे हैं, इससे दिक्कतें आ रही हैं। ओपीडी, आइपीडी, ओटी व लैब में जरूरी सामान की हमेशा कमी रहती है।
नहीं हो रही दवाओं की आपूर्ति
दवाओं की आपूर्ति भी नहीं हो रही है। लांड्री, किचन व मेस के लिए अभी टेंडर नहीं हुआ है। बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण व सैनिटाइजेशन की कोई व्यवस्था नहीं है। क्लीनिंग मैटेरियल केवल वीआइपी विजिट के दौरान मंगाए जाते हैं। कर्मचारियों व तकनीकी कर्मचारी की कमी है। जिनकी वजह से पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी, बायोकेमेस्ट्री की लैब संचालित करने में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने मेंटीनेंस सेल के गठन की मांग करते हुए शैक्षणिक व्यवस्था से जुड़ी कमियों की तरफ भी संयुक्त सचिव का ध्यान खींचा है।