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600 साल पहले यहां मिले थे बाबा गोरखनाथ और संत कबीर, अब देश में पहचान बनाने जा रहा यह स्‍थान Gorakhpur News

बाबा गोरखनाथ और संत कबीर के मिलन स्थल की मान्यता वाली गोरख तलैया और कबीर धूनी को राष्‍ट्रीय पहचान मिलने जा रही है। मान्‍यता है कि यहांं 600 साल पहले दोनो संतों की मुलाकात हुई थी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2020 07:05 AM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 07:30 AM (IST)
600 साल पहले यहां मिले थे बाबा गोरखनाथ और संत कबीर, अब देश में पहचान बनाने जा रहा यह स्‍थान Gorakhpur News

गोरखपुर, जेएनएन। बाबा गोरखनाथ, गुरु नानक, संत रविदास और संत कबीर के मिलन स्थल की मान्यता वाली गोरख तलैया और कबीर धूनी को पर्यटन स्थल के विकसित करने के लिए हो रहे कार्य ने फिर से जोर पकड़ लिया है। गोरखपुर और संतकबीर नगर की सीमा पर कसरवल में 3200 वर्गमीटर की गोरख तलैया को साढ़े पांच मीटर गहराई तक खोदे जाने का कार्य अंतिम रूप ले रहा है। उसके बीच में स्थापित करने के लिए 12 फीट की बाबा गोरखनाथ की कांस्य प्रतिमा भी तैयार हो गई है। 

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गोरखपुर-संतकबीर नगर की सीमा पर हो रहा है गोरख तलैया का निर्माण

दो दशक पहले जब गोरखपुर- लखनऊ फोरलेन का निर्माण हुआ तो तलैया विलुप्त सी हो गई पर कबीर धूनी का अस्तित्व बरकरार रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रदेश का नेतृत्व संभालने के बाद इस महत्वपूर्ण स्थान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना बनी। चार एकड़ क्षेत्र में पौने पांच करोड़ रुपये की लागत से बीते वर्ष की शुरुआत में निर्माण कार्य शुरू हुआ। वर्ष के अंत तक ही कार्य पूरा करने का लक्ष्य था लेकिन पहले भूमि अधिग्रहण और फिर लॉकडाउन के कारण अवधि बढ़ानी पड़ी।

पूरा हो चुका है 70 फीसद निर्माण कार्य

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र ने बताया कि 70 फीसद निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। कोशिश है कि शासन की मंशा के मुताबिक अगस्त के अंत तक कार्य पूरा करा लिया जाए। चारों ओर पाथ-वे बनाया चुका है। बाबा गोरखनाथ का आशीर्वाद उनके चरण तक पहुंचकर लिया जा सके, इसके लिए कबीर धूनी से प्रतिमा स्थल तक तलैया के बीच ब्रिज बनाया जाना है। 

यह है गोरख तलैया

कबीर धूनी के पुजारी रामशरण दास के मुताबिक 600 साल पहले इस क्षेत्र में सूखा पड़ा तो स्थानीय लोगों ने भंडारे का आयोजन किया। भंडारे में बाबा गोरखनाथ और संत कबीरदास के अलावा संत रविदास समेत बहुत से संत आए। जनश्रुतियों के अनुसार गुरु नानक ने भी हिस्सा लिया था।

हालांकि नानक और कबीर का काल मेल न खाने से इस मान्यता के पीछे लोगों का उत्साह ही कहा जा सकता है। बताते हैं कि भंडारे के दौरान पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए बाबा गोरखनाथ ने अपने पैर के अंगूठे से जमीन को दबाकर पानी निकाल दिया। यह स्थान तलैया बन गई। यहां कबीर ने भी धूनी रमा कर वर्षा कराई।


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