गोरखपुर के आयुष चिकित्सकों ने जताया विरोध, मानदेय में 25 फीसद बढ़ोत्तरी की मांग Gorakhpur News
चिकित्सकों का कहना है कि वर्तमान में 40000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है जबकि एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय 70000 रुपये हैं। राज्य सरकार के अधीन काम कर रहे एमओसीएच संविदा आयुष चिकित्सकों का मानदेय भी 60000 रुपये हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। मानदेय सहित अन्य समस्याओं को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत संविदा आयुष चिकित्सकों ने जिला अस्पताल व सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर विरोध जताया। मांगों के पक्ष में आवाज बुलंद की।
चिकित्सकों का कहना है कि वर्तमान में 40,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जबकि एलोपैथिक चिकित्सकों का मानदेय 70,000 रुपये हैं। राज्य सरकार के अधीन काम कर रहे एमओसीएच संविदा आयुष चिकित्सकों का मानदेय भी 60,000 रुपये हैं। चिकित्सकों ने 25 फीसद प्रोत्साहन राशि व 50 लाख का कोविड-19 बीमा प्रदान करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह मांगें नहीं मानी गई तो सभी चिकित्सक होम आइसोलेशन में चले जाएंगे।
25 फीसद बढ़ोतरी की मांग
कोरोना संक्रमित होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों की घर -घर जाकर उपचार कर रहें रैपिड रिस्पांस टीम के आयुष चिकित्सों ने 25 फीसद बढ़ोतरी की मांग की है। आयुष चिकित्सों का कहना है कि कोरोना मरीजों की घर जाकर उपचार कर रहे है लेकिन हम लोगों की 25 फीसद की बढोतरी नहीं हुई है, जबकि हास्पिटल में मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सों को 25 फीसद की बढ़ोत्तरी दी जा रही है। डा. मनोज मिश्र, डा. पवन कुमार, डा. बीके सिंह, डा. अमरनाथ तिवारी, डा. स्वाति त्रिपाठी आदि मौजूद रहें।
शिक्षकों-कर्मचारियों को पे रोल माड्यूल से मिल रहा वेतन
परिषदीय शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों को वेतन पे रोल माडयूल के जरिए मिलना शुरू हो गया है। अब वेतन से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या के लिए कर्मचारियों को विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। वो सीधे मानस संपदा पोर्टल के पे रोल माडयूल से समस्याओं को दूर करा सकेंगे। जनपद में लगभग दस हजार शिक्षक और कर्मचारी इस सुविधा से लाभान्वित हो रहे हैं। अभी तक परिषदीय शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों के वेतन भुगतान के बिल विकासखंड स्तर पर मैनुअली बनाए जाते थे। इसके बाद जिला स्तर पर इनका सत्यापन होता था। वेतन वृद्धि और डीए की राशि जुड़वाने के लिए शिक्षकों व कर्मचारियों को अक्सर ब्लाक स्तरीय अधिकारियों तथा वित्त एवं लेखा अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते थे। वेतन बिल बनाने में छुट्टियों का भी घालमेल होता था, लेकिन अब शिक्षकों की अवकाश स्वीकृति भी मानव संपदा पोर्टल के जरिए होती है।ऐसे में अब जहां पेरोल माड्यूल का जहां अनुपालन नहीं होगा, वहां के कर्मियों के वेतन आहरण पर रोक भी लग जाएगी।