North Eastern Railway: प्लेटफार्मों पर शोपीस बनीं आटोमेटिक वाटर वेंडिंग मशीनें, बंद पड़ी हैं 40 मशीनें
लखनऊ मंडल में गोरखपुर जंक्शन की एक दर्जन सहित खलीलाबाद बस्ती गोंडा बादशाहनगर और लखनऊ आदि रेलवे स्टेशनों पर करीब 40 मशीनें बंद पड़ी हैं। उनकी देखभाल भी करने वाला कोई नहीं है। सात माह से मशीनें बंद हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को कम दाम में पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का रेलवे का दावा हवाई साबित हो रहा है। ट्रेनें चलने लगीं, तो स्टेशन गुलजार हो गए, लेकिन प्लेटफार्मों पर आटोमेटिक वाटर वेंडिंग मशीनें शोपीस बनी हुई हैं।
लखनऊ मंडल में गोरखपुर जंक्शन की एक दर्जन सहित खलीलाबाद, बस्ती, गोंडा, बादशाहनगर और लखनऊ आदि रेलवे स्टेशनों पर करीब 40 मशीनें बंद पड़ी हैं। उनकी देखभाल भी करने वाला कोई नहीं है। जानकारों का कहना है कि सात माह से मशीनें बंद हैं। उन्हें चालू नहीं किया गया, तो पानी देने लायक नहीं रह जाएंगी। 2016 से शुरू रेलवे की यह महत्वाकांक्षी योजना परवान चढऩे से पहले ही धराशायी हो जाएगी।
पीने के शुद्ध पानी के नाम पर ढीली हो रही आम यात्रियों की जेब
दरअसल, आम यात्रियों की सुविधा के लिए इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन (आइआरसीटीसी) ने पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख स्टेशनों पर आटोमेटिक वाटर वेंडिंग की व्यवस्था की है। इन मशीनों से महज पांच रुपये में एक लीटर पीने का पानी मिल जाता है। फिलहाल यात्रियों को एक लीटर पानी के लिए 15 से 20 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
फंसा है बिजली बिल का पेंच
आइआरसीटीसी ने आटोमेटिक वाटर वेडिंग मशीनों को संचालित करने की जिम्मेदारी निजी संस्था को दी है। संस्था मशीन से पानी तो बेचती रही, लेकिन शर्तों के मुताबिक रेलवे प्रशासन के पास बिजली का बिल जमा नहीं किया। संस्था पर बिजली बिल का लाखों रुपये बकाया है। संस्था न बिजली बिल जमा कर रही है और न रेलवे मशीनें चालू करने की अनुमति दे रहा है। आइआरसीटीसी के प्रबंधक अनिल गुप्ता का कहना है कि रेलवे प्रशासन का जैसे ही दिशा-निर्देश मिलेगा, आटोमेटिक वाटर वेंङ्क्षडग मशीनें चालू करा दी जाएंगी। यात्रियों की सुविधा के लिए ही मशीनें लगाई गई हैं।