भाई की ससुराल में दामाद सा लुत्फ उठाते थे अटल Gorakhpur News
अटल जी की जयंती की चर्चा जैसे ही उनके भाई की 92 वर्षीय सरहज सरोजनी दीक्षित (प्रेम वाजपेयी के साले स्व. कैलाश नारायण दीक्षित की पत्नी) से छिड़ी वह पुरानी यादों में खो गईं। उन्होंने उस खुबसूरत पल को साझा किया।
गोरखपुर, जेएनएन। चरनलाल चौक से दुर्गाबाड़ी जाने वाली सड़क पर बसे दीक्षित परिवार में भले ही प्रेम बिहारी वाजपेयी की ससुराल हो पर दामाद के रिश्ते का असली लुत्फ अगर किसी ने उठाया तो वह थे उनके छोटे भाई भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी। गोरखपुर में 1940 में सहबाला बनने से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक अटल जी दीक्षित परिवार के हर छोटे-बड़े समारोहों में न केवल शरीक हुए बल्कि वहां दामाद सी उपस्थिति भी दर्ज कराई। शायद तभी बड़े भाई प्रेम वाजपेयी ने एक बार मजाकिया लहजे में उनसे कहा था, 'ससुराल हमारी है पर हमसे ज्यादा तो तुम ही गोरखपुर जाते रहते हो।
प्रेम बिहारी वाजपेयी की सरहज सरोजनी दीक्षित के जेहन में आज भी ताजा हैं अटल की यादें
अटल जी की जयंती की चर्चा जैसे ही उनके भाई की 92 वर्षीय सरहज सरोजनी दीक्षित (प्रेम वाजपेयी के साले स्व. कैलाश नारायण दीक्षित की पत्नी) से छिड़ी, वह पुरानी यादों में खो गईं। उन्होंने उस खुबसूरत पल को साझा किया जो अटल जी ने दीक्षित परिवार के साथ गुजारे थे। बताने लगीं कि अटल जी की ज्यादातर बातें लक्षणा-व्यंजना में होती थीं। बात-बात में कविता कहना उनकी आदत थी। बात करते-करते गंभीर हो जाना और फिर अगले ही क्षण किसी की चुटकी लेकर ठहाका लगवा देना उन्हें बखूबी आता था। यही वजह थी परिवार के हर आयोजन में सभी को उनका बेसब्री से इंतजार रहता था। अटल जी उनके स्वभाव से इतना प्रभावित रहते थे कि उन्हें विजया बुलाया करते थे। कहते थे सरोजनी अपने जिंदादिल स्वभाव से किसी पर भी विजय पा सकती हैं, इसलिए इन्हें विजया कहना ठीक होगा।
जब मथुरा प्रसाद को करना पड़ा हस्तक्षेप
70 के दशक में दीक्षित परिवार में भागवत का आयोजन था। प्रेम वाजपेयी के ससुर मथुरा प्रसाद दीक्षित के भांजे और कांग्रेसी नेता रमेश दत्त दीक्षित भी इटावा से आए थे। भाई की तरफ से अटल जी भी उसमें पहुंचे हुए थे। सरोजनी बताती हैं कि शाम को दोनों विरोधी दल के नेताओं में ऐसी गर्मागर्म राजनीतिक बहस छिड़ी कि बीच-बचाव के लिए मथुरा प्रसाद को आगे आना पड़ा।
पूरे परिवार को फिल्म दिखाते और खुद सो जाते
सरोजनी दीक्षित बताती हैं कि अटल जी फिल्मों के बहुत शौकीन थे और नरगिस उनकी पसंदीदा अभिनेत्री थी। अटल जब भी आते थे पूरे परिवार को फिल्म दिखाने जरूर ले जाते। मजे की बात तो यह भी कि वहां पहुंच कर सब फिल्म देखते और अटल जी बैठे-बैठे ही सो जाते थे। यादों को टटोल कर उन्होंने बताया कि 60 के दशक में अटल पूरे परिवार के साथ राजकपूर-नरगिस की फिल्म ÓआवाराÓ दिखाने ले गए थे।
तीन देवियों से देश को दिलाना चाहते थे मुक्ति
अटल बिहारी वाजपेयी बातचीत में देश को तीन देवियों से मुक्ति दिलाने की बात हमेशा करते थे। हालांकि सरोजनी यादों को टटोलकर तीन देवियों में से इंदिरा गांधी और सुचेता कृपलानी का ही नाम बता सकीं।
अटल के आने पर बनती थी कढ़ी, निमोना व खीर
अटल जी को कढ़ी, निमोना और खीर बहुत पसंद थी। उनके खानपान के शौक की जानकारी भाभी ने जब अपनी मां यानी प्रेम वाजपेयी की सासू मां फूलमती को दी तो उसके बाद जब भी वह आते उनके लिए कृष्णा सदन में कढ़ी और खीर जरूर बनती थी। जाड़े में निमोना जरूर बनता था, जिसे वह चाव से खाते थे।
रिश्तेदारी में होती थी नारद की भूमिका
सरोजनी दीक्षित के बेटे एडवोकेट संजीव दीक्षित बताते हैं कि रिश्तेदारों में कई बार अटल जी की भूमिका नारद सी होती थी। चूंकि उनका राजनीतिक दौरा पूरे देश में लगता रहता था, इसलिए जहां जाते थे, वहां के रिश्तेदार को अन्य रिश्तेदारों से जुड़ी जानकारी उनके माध्यम से मिल जाती थी। इसे लेकर अटल जी हमेशा अपडेट भी रहते थे।
दस्तावेज हैं अटल जी की ये चार पंक्तियां
अटल जी जुड़ी यादों को सहेजते हुए संजीव दीक्षित उनकी लिखीं उन पंक्तियों का जिक्र करना नहीं भूलते, जिसे उन्होंने तब लिखा था जब वह मथुरा प्रसाद दीक्षित के भाई के ब्रह्मभोज में आए थे। उन पंक्तियों को संजीव ने आज भी दस्तावेज के रूप सहेज कर रखा है। संजीव का दावा है कि वह पंक्तियां अभी तक कहीं प्रकाशित नहीं हुई हैं।
सूर्य गिर गया अंधकार में ठोकर खाकर,
भीख मांगता है कुबेर झोली फैलाकर,
कण-कण को मोहताज कर्ण का देश हो गया,
मां का अंचल द्रुपद सुता का केश हो गया।