Move to Jagran APP

लोगों को बचाने में डटे रहे एंबुलेंस चालक व टेक्‍नीशियन, निभाई अपनी जिम्मेदारी Gorakhpur News

कोरोना को लेकर एक तरफ लोग डरे-सहमे रहते थे। संक्रमित इलाकों से दूर रहने की कोशिश कर रहे थे तो दूसरी तरफ कुशीनगर के शमीम व राजू अथक डटे रहे। एंबुलेंस चालक मोहम्मद शमीम जिला अस्पताल और लोगों के घर से कोविड-19 अस्पताल तक संक्रमितों को ले जाते थे।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 10:50 AM (IST)
लोगों को बचाने में डटे रहे एंबुलेंस चालक व टेक्‍नीशियन, निभाई अपनी जिम्मेदारी Gorakhpur News
कोरोना मरीज को एंबुलेंस में ले जाते चालक व टेक्‍नीशियन।

अनिल पाठक, गोरखपुर : कोरोना संक्रमण को लेकर एक तरफ लोग डरे-सहमे रहते थे। कोरोना संक्रमित इलाकों से दूर रहने की कोशिश कर रहे थे तो दूसरी तरफ आपदाकाल में कुशीनगर के शमीम व राजू अथक डटे रहे। स्वास्थ्य विभाग में एंबुलेंस चालक मोहम्मद शमीम जिला अस्पताल और लोगों के घर से कोविड-19 अस्पताल तक संक्रमितों को ले जाते थे। 76 एंबुलेंस चालक और 5686 से अधिक संक्रमित वाले जिले में शमीम अकेले 500 से अधिक लोगों को अस्पताल पहुंचाए। इमरजेंसी मेडिकल टेक्‍नीशियन राजू जायसवाल भी इनके साथ जाते-आते थे। इन लोगों ने केवल एक-एक दिन दीपावली और ईद के अवसर पर अवकाश लिया था।

loksabha election banner

महराजगंज के रहने वाले हैं शमीम

महराजगंज जिले के गांव पिपरा लाल पिपरपाती थाना श्यामदेउरवां के रहने वाले नबी हसन के तीन पुत्र व एक पुत्री में सबसे बड़े मोहम्मद शमीम (27) ने 11 फरवरी, 2014 को एंबुलेंस चालक का दायित्व संभाला था। उसके बाद मरीजों की इमरजेंसी सेवा में लग गए। शमीम बताते हैं कि मार्च, 2020 के अंतिम सप्ताह में लाकडाउन लग गया। सभी लोग घरों में बंद थे, हर तरफ कोरोना का भयावह शोर था। लोगों के दिमाग में कोरोना का मतलब मौत था। उस समय लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन किया। केवल पानी पीकर आठ से नौ घंटे तक मरीजों को अस्पताल पहुंचाते रहे। ड्यूटी से वापस आने पर पहले एंबुलेंस को सैनिटाइज करते, पीपीई किट को डिस्पोज करते, अपना कपड़ा धोने व नहाने के बाद ही भोजन करते थे। पिता के अलावा मां शायदा खातून, पत्नी मरियम खातून, बेटी सूफिया व बेटा सुफियान से प्रतिदिन बात होती थी, सभी मेरा हौसला बढ़ाते थे। लगातार मरीजों की सेवा के बीच ईद के दिन अवकाश लिया, अगले दिन से फिर ड्यूटी करने लगा। कहते हैं कि इस दौर में कई बार प्रोग्राम मैनेजर नलिन सिंह ने हौसला बढ़ाया।

गोंडा के निवासी हैं राजू जायसवाल

गोंडा जिले के इटहिया बाजार के रहने वाले रामदास जायसवाल की कपड़े की दुकान है। उनके चार पुत्रों व तीन पुत्रियों में सबसे बड़े राजू जायसवाल (34) ने आठ फरवरी, 2013 को इमरजेंसी मेडिकल टेक्‍नीशियन का पद ज्‍वाइन किया। वे बताते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में पूरा देश जूझ रहा था। स्वास्थ्य विभाग को इससे पहले इतनी बड़ी जिम्मेदारी उठाते किसी ने नहीं देखा होगा। दिन-रात एक कर महामारी को हराने को जुनून आज सफलता की मंजिल पर पहुंच चुका है। पिता के अलावा मां मीना, पत्नी रश्मि व बेटा कुंज मोबाइल पर हौसला बढ़ाते थे। स्वजन को संक्रमित होने के डर की वजह से घर जाने से परहेज करते रहे। पीपीई किट पहनने के बाद गर्व की अनुभूति होती थी। भले ही चाय, नाश्ता व भोजन नहीं मिलता था, लेकिन फर्ज निभाने का जुनून शरीर में ऊर्जा भर देता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.