Indian Railways: रेलवे के कोचों में लगेंगे हवाई जहाज वाले बायोटायलेट, NER से होगी शुरुआत
पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों में लगने वाले कुल 3355 कोचों में बायोटायलेट लगा दिए गए हैं। अब सिर्फ लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली डबल डेकर ट्रेन के 14 और 23 हाइब्रिड कोच में लगने शेष रह गए हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। अब रेल की पटरियों (रेल लाइन) पर टायलेट की गंदगी नहीं गिरेगी। प्लेटफार्म भी पूरी तरह साफ-सुथरे रहेंगे। स्वच्छ रेल- स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों में लगने वाले कुल 3355 कोचों में बायोटायलेट लगा दिए गए हैं। अब सिर्फ लखनऊ से दिल्ली के बीच चलने वाली डबल डेकर ट्रेन के 14 और 23 हाइब्रिड कोच में लगने शेष रह गए हैं। गोरखपुर स्थित यांत्रिक कारखाने में डबल डेकर के 5 कोचों में बायोटायलेट लग गए हैं। बाकी नौ में भी जल्द ही लग जाएंगे। यानी, अब डबल डेकर ट्रेन भी बायोटायलेट कोच के साथ ही चलाई जाएगी। यही नहीं हमसफर के एक रेक में लगे हवाई जहाज वाले बायोटायलेट लगाने की तैयारी की जा रही है।
ऐसे काम करता है बायोटायलेट
दरअसल, सामान्य टायलेट की तरह बायोटायलेट की गंदगी नीचे नहीं गिरती है। बल्कि पानी में घुलकर कुछ बह जाती है, कुछ गैस बनकर हवा में उड़ जाती है। इस प्रक्रिया के लिए बायोटायलेट के टैंक में बैक्टीरिया छोड़े जाते हैं। अभी तक ट्रेनों के कोचों में सामान्य टायलेट ही लगते थे। इसके चलते टायलेट की पूरी गंदगी रेल लाइनों पर ही गिरती थी। गंदगी के चलते प्लेटफार्मों पर खड़ा होना मुश्किल हो जाता था। अब पटरियों पर कहीं भी गंदगी नहीं दिखती है।
बायोटायलेट में खामियां भी
हालांकि, बायोटायलेट में भी खामियां हैं। अक्सर टायलेट का प्रेशर काम करना बंद कर देता। उसकी गंदगी बोगियों में फैलने लगती है। बदबू के चलते यात्री पास वाले सीटों पर बैठ नहीं पाते हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बायोटायलेट को लगातार उच्चीकृत किया जा रहा है। साथ ही गंदी हवाओं को बाहर निकालने के लिए छोटे-छोटे पंखे भी लगाए जा रहे हैं।
हमसफर के एक रेक में लगे हवाई जहाज वाले बायोटायलेट
आने वाले दिनों में ट्रेनों में भी हवाई जहाज में लगने वाले अति आधुनिक वैक्यूम बायोटायलेट लगाए जाएंगे। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे से चलने वाली हमसफर एक्सप्रेस के एक रेक में वैक्यूम बायोटायलेट लगाकर परीक्षण किया जा रहा है। इस टायलेट में गंदगी और बदबू नहीं फैलती है। टायलेट भी साफ- सुथरा रहता है।
स्वच्छ रेल- स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत पूर्वोत्तर रेलवे के लगभग सौ फीसद कोचों में बायोटायलेट लगाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। कुछ कोच शेष बचे हैं, उनमें भी बायोटायलेट लगाने की प्रक्रिया चल रही है। इसी क्रम में यांत्रिक कारखाना गोरखपुर में पहली बार डबल डेकर कोचों में बायोटायलेट लगाए जाने का कार्य किया जा रहा है। - पंकज कुमार सिंह, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी- पूर्वोत्तर रेलवे।