जागरूकता के हवनकुंड से निकली सेहत वाली बयार, 234 से 167 पर पहुंची गोरखपुर की एक्युआई Gorakhpur News
वर्ष 2020 में गोरखपुर की यूपी 112 को प्रदूषण से संबंधित 1325 सूचनाएं मिलीं। सूचनाओं पर पीआरवी (पुलिस रेस्पांस व्हीकल) दौड़ती रही है। इसका नतीजा है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआई)पिछले एक वर्ष में 234 से 160 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गई है।
गोरखपुर, जेएनएन। बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर सरकारें गंभीर हैं। खेतों में डंठल जलाने पर प्रतिबंध है। लोग अब खेतों में डंठल जलाने व पटाखा जलाने को लेकर लोग सूचनाएं पीआरवी को देने लगे हैं। वर्ष 2020 में गोरखपुर की यूपी 112 को प्रदूषण से संबंधित 1325 सूचनाएं मिलीं। सूचनाओं पर पीआरवी (पुलिस रेस्पांस व्हीकल) दौड़ती रही है। इसका नतीजा है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स(एक्यूआई)पिछले एक वर्ष में 234 से 160 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गई है।
एक वर्ष में यूपी 112 को मिली 1325 वायु प्रदूषण की सूचना
100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर एक्युआई वाली हवा फेफड़ों के लिए शुद्ध मानी जाती है। 101-200 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तक की एक्युआई में लोगों को सांस लेने में थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन यह फेफड़ों के लिए खतरनाक नहीं है। एक्युआई 201 से अधिक होने पर लोगों को कठिनाई होने लगती है। जनवरी 2020 में एक्युआई 234 था व जनवरी 2021 एक्युआई 160 के करीब है। पर्यावरण विभाग के जानकारों का मानना है कि लोगों के जागरूक होने से स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन इस पर थोड़ा और ध्यान दिया जाए तो स्थिति और बेहतर हो सकती है। बता दें कि वर्ष 2020 में गोरखपुर की यूपी 112 को 1325 सूचनाएं वायु प्रदूषण की मिलीं। जबकि वर्ष 2019 में 400 के करीब सूचनाएं मिली थीं। इसमें डंठल जलाने से लेकर पटाखा जलाने तक की सूचना शामिल थी। पुलिस व कृषि विभाग की टीमें सूचनाओं पर थोड़ी सक्रिय दिखीं तो गत वर्ष की तुलना इस वर्ष मामले भी कम रहे।
थमीं ठंडल जलाने की घटनाएं
बीते दो वर्षों में ठंडल जलाने के मामले में कमी आई है। वर्ष 2020 ठंडल जलाने को लेकर 6 मुकदमे दर्ज किए गए। 48 लोगों को नोटिस भेजी गई, जबकि वर्ष 2019 में 31 मुकदमे दर्ज किए गए थे। 86 व्यक्तियों को नोटिस भेजी गई थी। उप निदेशक कृषि डा.संजय सिंह का कहना है कि बीते वर्ष डंठल जलाने के मामलों में कमी आई है। यह लोगों की जागरूकता की ही देन है।
एक्युआई का स्तर सुधरा है। लोग अनावश्यक वाहनों का प्रयोग ना करें। लोग थोड़ा ध्यान दें तो एक्युआई 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तक लाया जा सकता है। - कैलाश पाण्डेय, मौसम व पर्यावरण विशेषज्ञ।