गोरखपुर, जेएनएन। दिवाली के बाद से दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में बेकाबू हुए वायु प्रदूषण ने आमजन से लेकर शासन-सत्ता तक को झकझोर दिया। यहां तक कि इसका संज्ञान सुप्रीम कोर्ट को भी लेना पड़ा। इसकी आंच प्रदेश के भी सभी जिलों तक भी पहुंची। कानपुर, लखनऊ और मुरादाबाद तो देश के टॉप टेन प्रदूषित शहरों में शामिल हो गए। ऐसे में गोरखपुर में वायु प्रदूषण का विश्लेषण जरूरी हो गया।
हाल यही रहा तो दिल्ली जैसी स्थिति होगी
विश्लेषण के क्रम में जलवायु और पर्यावरण विशेषज्ञों से इसे लेकर चर्चा हुई तो उन्होंने आंकड़ों का हवाला देकर यह साबित कर दिया कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो वह दिन दूर नहीं जब गोरखपुर में भी प्रदूषण की स्थिति दिल्ली जैसी ही हो जाएगी। प्रदूषण के आंकड़े दिल्ली दूर न होने की चेतावनी देते हैं।
खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण
मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आचार्य और पर्यावरणविद् प्रो. गोविंद पांडेय का कहना है कि वायु प्रदूषण का बढ़ता आंकड़ा इस बात की गवाही है कि शहर की आबोहवा दिन प्रतिदिन जहरीली होती जा रही है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों को ध्यान में रखकर अगर इसका मूल्यांकन करें तो यह खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। दिवाली के बाद तो स्थिति और भयावह हो गई। बीते 10 दिन के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो कई बार वायू प्रदूषण सूचकांक सामान्य से चार गुना से भी अधिक हो गया। यह स्थिति अगर बरकरार रही तो वह दिन दूर नहीं जब हर व्यक्ति सांस का मरीज होगा।
तेजी से बढ़ रहा ब्लैक कार्बन
गोरखपुर शहर और इसके आसपास के क्षेत्र के वातावरण में पिछले कुछ वर्षो में ब्लैक कार्बन की मात्रा तेजी से बढ़ी है। इसकी बड़ी वजह खुलेआम कूड़े का विभिन्न स्थानों पर जलाया जाना और पिछले कुछ वर्षो में वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी होना है। दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी और पराली जलने ने समस्या को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया है। - प्रो. शांतनु रस्तोगी, भौतिक विज्ञान, दीदउ, गोविवि।
आंकड़े बताते हैं कि गोरखपुर का वायु प्रदूषण सूचकांक बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो के लिए खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। वाहनों की बढ़ती संख्या इसके लिए मूल रूप से जिम्मेदार है। बीच-बीच में आतिशबाजी और पराली जलाने से समस्या और बढ़ जाती है। नियंत्रण के प्रभावी उपाय नहीं हुए तो आने वाले दिनों में स्वस्थ इंसान भी सांस का रोगी हो सकता है। - कैलाश पांडेय, जलवायु विशेषज्ञ
दिवाली से दिनवार एक्यूआइ का आंकड़ा (माइक्रोग्राम घन मीटर में)
तिथि एक्यूआइ
28 अक्टूबर 189
29 अक्टूबर 212
30 अक्टूबर 263
31 अक्टूबर 207
01 नवंबर 198
02 नवंबर 184
03 नवंबर 179
04 नवंबर 163
05 नवंबर 158
06 नवंबर 163
07 नवंबर 168
एक्यूआइ का सूचकांक और उसका परिणाम
0-50 : बहुत कम असर होता है, खतरा नहीं।
51-100 : बीमार लोगों को सांस लेने में मामूली दिक्कत।
101-200 : बच्चों व बुजुर्गों में दिल और फेफड़ा रोगियों को सांस लेने में दिक्कत।
201-300 : सभी लोगों को सांस लेने में कठिनाइयां शुरू होंगी।
301-400 : ज्यादातर लोग सांस की बीमारियों के घेरे में आ जाएंगे।
401-अधिक : हर स्वस्थ्य इंसान को सांस की बीमारी हो सकती है।
क्या है एक्यूआइ
एयर क्वालिटी इंडेक्स को वायु गुणवत्ता सूचकांक भी कहा जाता है। इसके जरिये हमें वायुमंडल और वातारण में मौजूद हवा की गुणवत्ता की जानकारी मिलती है। इसका आंकलन माइक्रो ग्राम क्यूब मीटर के आधार पर किया जाता है।
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