AIIMS Gorakhpur: बस नाम का एम्स, मरीजों का यहां से हो रहा मोहभंग- एम्स छोड़कर जिला अस्पताल में करा रहे इलाज
बड़े नाम वाला एम्स गोरखपुर इस समय सर्दी-जुकाम के मरीजों का ही इलाज कर रहा है लेकिन गार्डों व कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के चलते मरीजों का एम्स से मोहभंग हो रहा है। वे स्वास्थ्य केंद्रों जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कालेज में इलाज कराना बेहतर समझ रहे हैं।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। एम्स गोरखपुर में फिलहाल ऐसी कोई सुविधा नहीं है कि गंभीर मरीजों को राहत मिल सके। बड़े नाम वाला एम्स सर्दी-जुकाम के मरीजों का इलाज तो कर रहा है, लेकिन गार्डों व कर्मचारियों के दुर्व्यवहार के चलते मरीजों का एम्स से मोहभंग हो रहा है। वे स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कालेज में इलाज कराना बेहतर समझ रहे हैं।
गार्डों के दुर्व्यवहार का शिकार हो रहे मरीज
मोहद्दीपुर के चारफाटक निवासी 30 वर्षीय श्रवण शुक्ला के साथ ऐसा ही हुआ था। वह आंख दिखाने एम्स गए थे। लाइन में खड़े थे। उन्होंने बताया कि जब मेरा नंबर आया तो मेरे पीछे लगभग दो सौ लोग खड़े थे। गार्ड ने अंदर जाने से मना कर दिया। जब मैंने इसका विरोध किया तो सात-आठ गार्डों ने मिलकर मुझे बंधक बना लिया। मेरे साथी ने एयरफोर्स चौकी पर सूचना दी। वहां से पुलिस ने आकर मुझे मुक्त कराया। इसके बाद मैं सीधे जिला अस्पताल चला गया। अब वहीं से इलाज करा रहा हूं।
हर जगह गार्ड करते हैं दुर्व्यवहार
सिंघड़िया के रामेश्वर विश्वकर्मा भी यही पीड़ा है। वह बताते हैं कि सुबह से लाइन में खड़े होने के बाद भी डाक्टर को दिखा पाना संभव नहीं होता। गार्ड अंदर जाने से मना कर देते हैं। अनुरोध करने पर धकेलने लगते हैं। कहते हैं कि 11 बजे के बाद कोई मरीज अंदर नहीं जाएगा। मैं दो बार वापस जा चुका हूं। अब खोराबार स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करा लेता हूं। सूबा बाजार के रामचंद्र कसौधन का कहना है कि मरीज के साथ दो लोगों को जाना पड़ता है। एक आदमी लाइन में खड़ा होकर नंबर लगाता है और दूसरा मरीज के पास रहता है। जब लाइन में लगे व्यक्ति का नंबर आ गया और वह दूर बैठे मरीज को अंदर जाने के लिए बुलाता है तो गार्ड विवाद करते हैं। कहते हैं जो लाइन में लगा है, वही अंदर जाएगा। दूसरा कोई नहीं। सर्वोदय नगर के प्रेम नारायण सिंह का कहना है कि यदि एम्स में इलाज मिल भी गया तो पानी नहीं मिलता है। डाक्टर को दिखाने में शाम हो जाती है। इस दौरान प्यास लगी तो बिना पानी पीये रहना पड़ता है।
सुबह से लाइन में लगने के बाद भी नहीं जाने दिया अंदर
एम्स में सुबह 11 बजे के बाद जिस मरीज या तीमारदार का नंबर आया, उसे अंदर प्रवेश नहीं दिया जाता है। यदि मरीज ने गार्डों से अनुरोध कर लिया तो उनका जवाब अपमानित करने वाला होता है। वे विवाद पर उतारू हो जाते हैं। गार्ड मरीज को बंधक बनाकर बैठा लेते हैं। एम्स प्रशासन का गार्डों पर कोई नियंत्रण नहीं है। इस संबंध में एम्स का पक्ष जानने के लिए कार्यकारी निदेशक डा. सुरेखा किशोर को फोन व वाट्सएप पर मैसेज किया गया। न तो उन्होंने काल रिसीव की और न ही मैसेज का जवाब दिया। बाद में उनका पक्ष आने पर प्रकाशित किया जाएगा।