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फिर दोहराई जा रहीं मार्च की गलतियां, दिल्ली-मुंबई से आए लोग सीधे पहुंच जा रहे घर

गोरखपुर में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम नाकाफी हैं। रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट पर कोरोना जांच के बूथ सक्रिय कर दिए गए हैं। टीमें मौजूद हैं लेकिन सभी यात्रियों की जांच नहीं हो पा रही है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Tue, 20 Jul 2021 07:02 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jul 2021 07:02 AM (IST)
फिर दोहराई जा रहीं मार्च की गलतियां, दिल्ली-मुंबई से आए लोग सीधे पहुंच जा रहे घर
गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ते यात्री। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। देश के कई हिस्साें में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने व डेल्टा प्लस की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य महकमा सतर्क तो हो गया है। लेकिन संक्रमण की रोकथाम के लिए उठाए गए कदम नाकाफी हैं। रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट पर कोरोना जांच के बूथ सक्रिय कर दिए गए हैं। टीमें मौजूद हैं लेकिन सभी यात्रियों की जांच नहीं हो पा रही है। केवल रेलवे से प्रतिदिन 22 से 25 हजार यात्री गोरखपुर आते हैं। जबकि जांच महज 50 से डेढ़ सौ तक की हो पा रही है।

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बूथ तो बनाए गए लेकिन नहीं हो पा रही सभी की जांच

मार्च में पंचायत चुनाव व होली के मद्देनजर दिल्ली-मुंबई से लोगों का आना शुरू हुआ। उस समय भी बूथ बनाए गए थे। जांच की यही स्थिति थी। यहां तक कि जो लोग पाजिटिव मिले, उन्हें भी छोड़ दिया गया। धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ा और अप्रैल में स्थिति भयावह हो गई। अस्पताल फुल हो गए। मरीज तपड़ने लगे। दवाओं का संकट शुरू हो गया। आक्सीजन की कमी सामने आ गई। अनेक लोग अपने स्वजन को मरते देखते रहे। वह वेबस थे। वही स्थिति जुलाई में दोहराई जा रही है।

बाहर से आ रहे लोग छिपा रहे ट्रैवेल हिस्ट्री

बाहर से आ रहे ज्यादातर लोगों के आधार कार्ड पर उनके गांव का पता है। वे ट्रैवेल हिस्ट्री छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए मरीज व उनके स्वजन से अलग-अलग पूछताछ की जा रही है, ताकि कोई व्यक्ति बाहर से यदि संक्रमण लेकर आया है तो उसकी पहचान हो सके। रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट पर मिलने वाले यात्री तो पूरी बात बता रहे हैं। लेकिन जांच केंद्रों पर पहुंचे लोगों के बारे में जानना मुश्किल हो रहा है। ऐसे मरीज जब मेडिकल कालेज में भर्ती हुए, तब उनके बारे में सही जानकारी हो पाई।

जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए देनी होती है पूरी जानकारी

बाबा राघव दास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग के अध्यक्ष डा. अमरेश सिंह ने कहा कि आसानी से मरीज ट्रैवेल हिस्ट्री के बारे में जानकारी नहीं दे रहे हैं। इससे जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नमूने भेजने में दिक्कत आ रही है, क्योंकि इसके लिए मरीज की पूरी जानकारी देनी होती है। शासन से निर्देश मिला है कि मुंबई, केरल, त्रिपुरा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों से आने वाले लोग अगर पाजिटिव मिलते हैं, तो उनकी जीनोम सीक्वेसिंग कराई जाए।

रेलवे स्टेशन पर 11 से 18 जुलाई तक हुई जांच

11- 93

12- 103

13- 114

14- 160

15- 73

16- 86

17- 70

18- 50

एयरपोर्ट पर हुई जांच

11 जुलाई- 37

12- 40

13- 39

14- 41

15- 60

16- 44

17- 23

रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट पर जांच बूथ बना दिए गए हैं। एयरपोर्ट से ज्यादा खतरा इसलिए नहीं है कि विदेश से कोई सीधी फ्लाइट यहां नहीं आती है। किसी न किसी एयरपोर्ट से होकर यात्री आते हैं, उनकी वहां जांच हो चुकी होती है। खतरा रेलवे स्टेशन से गुजरने वाले यात्रियों से ही है। लेकिन ज्यादातर बिना जांच कराए निकल जाते हैं। हम किसी के साथ जबरदस्ती कर नहीं सकते। इसलिए जांच बहुत कम संख्या में हो पा रही है। - डा. एके सिंह, कोरोना जांच प्रभारी।


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