Move to Jagran APP

सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ के बाद अब बीमारी से जूझ रहे लोग, इंडिया मार्का हैंड पंप दे रहे दूषित जल

सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ के बाद अब कई तरह की बीमारियों ने पांव पसराना शुरू कर दिया है। खासकर सदर तहसील क्षेत्र का ककरही गांव में बीमारियों का सर्वाधिक प्रकोप फैला हुआ है। हैंडपंपों से दूि‍षित जल निकल रहा है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 10:05 AM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 10:05 AM (IST)
सिद्धार्थनगर जिले में बाढ़ के बाद अब बीमारी से जूझ रहे लोग, इंडिया मार्का हैंड पंप दे रहे दूषित जल
सिद्धार्थनगर जिले में बाढ के बाद बीमारियों का कहर। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सिद्धार्थनगर जिले की सदर तहसील क्षेत्र के गांव बाढ के बाद अब बीमारी से जूझ रहे हैं। सबसे बुरा हाल ककरही गांव का है। करीब-करीब पूरा गांव बीमारी की चपेट में हैं। बूढ़ी राप्ती के मुहाने पर बसे इस गांव में अभी तक बाढ़ का पानी लगा था। लोग पुल पर शरण लिए थे। पानी हटने के बाद गांव में वापस लौटे तो बीमारी से ग्रसित हो गए हैं। बुजुर्ग, अधेड़, महिला व बच्चे बुखार से ग्रसित हैं। कुछ बच्चों को उल्टी व दस्त की भी शिकायत है। प्रशासनिक स्तर पर यह गांव उपेक्षित है। बाढ़ राहत सामग्री नहीं वितरित की गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने भी गांव का दौरान नहीं किया है। दवा भी नहीं वितरित की गई है।

loksabha election banner

तीन सौ घर और चार टोले का है गांव

ककरही चार टोलों का गांव है। ग्राम पंचायत में 300 घर व करीब दो हजार आबादी है। लोगों केे आय का स्रोत खेती और मजदूरी है। बाढ़ के पानी में फसल नष्ट हो गई है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद गांव में गंदगी का अंबार लगा है। ग्राम पंचायत में 23 इंडिया मार्क हैंडपंप है। सभी दूषित जल दे रहे हैं। गांव में सफाई व दवा का छिड़काव भी नहीं हुआ है।

बाढ ने बर्बाद कर दी फसल

गांव के रामफल कहते हैं कि नदी के किनारे नौ बीघा खेत है। धान व सब्जी की खेती की थी। पूरी फसल बाढ़ में नष्ट हो गई है। घर में बच्चे बीमार हैं, इलाज के लिए चिकित्सक नहीं आए हैं। अप्रशिक्षित चिकित्सक से इलाज कराने की मजबूरी है। प्रशासन की ओर से अभी तक राहत नहीं मिला है।

नहीं मिल रही दवा

गांव की सरोज बताती हैं कि कुछ माह पूर्व पति की मृत्यु हो गई है। चार नाबालिग बच्चों का पालन पोषण कर रही हूं। आठ बीघा खेत नदी में समा गया है। विधवा पेंशन भी नहीं मिल रहा है। बड़ी पुत्री बीमार है। अभी तक गांव में दवा नहीं बांटी गई है। सरकार से भी अभी तक कोई राहत नहीं मिला है।

नहीं मिली बाढ राहत सामग्री

गेना देवी बताती हैं कि आय का स्रोत मजदूरी है। दो बेटे हैं जो मजदूरी कर पेट पालते हैं। बाढ़ के समय नमक रोटी से गुजारा हुआ है। सरकार ने भी अभी तक बाढ राहत सामग्री का वितरण नहीं कराया। नाती की तबीयत नहीं ठीक है। इसके अलावा गांव के कई बच्चे बुखार से पीडि़त हैं। दुकानदार से पूछ कर दवा लाया हूं।

झोला छाप से उपचार कराने को मजबूर हैं लोग

ग्राम प्रधान सरदार उर्फ कल्‍लू बताते हैं कि मौखिक रूप से बाढ राहत सामग्री का वितरण कराने के लिए तहसीलदार व लेखपाल से कई बार कहा गया। राहत सामग्री का वितरण नहीं हुआ है। गांव में बीमारियों ने पांव पसार लिया है चिकित्सीय टीम भी नहीं आई। लोग अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास जाने को मजबूर हो गए हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.