रामभक्तों की हुई जीत, सराहा गया सीबीआइ न्यायालय का फैसला
देवरिया के रामभक्तों ने विवादित ढांचा विध्वंस के फैसले पर जताई खुशी
देवरिया, जेएनएन। अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था। सीबीआइ की विशेष अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सभी आरोपितों को बरी कर दिया है। लोगों ने कोर्ट के फैसला की सराहना करते हुए खुशी जताई है। मंदिर आंदोलन के दौरान जिले में सक्रिय भूमिका निभाने वाले लोगों से जागरण ने बातचीत की। लोगों के जेहन में आंदोलन से जुड़ी यादें ताजा हो गईं।
विजय जुलूस के दौरान लाठीचार्ज में टूट गया था हाथ
उस समय शहर की सभी सड़कों को सील कर दिया गया था। आवागमन पूरी तरह से ठप था। प्रशासन की सख्ती के कारण हम लोग अयोध्या नहीं जा पाए। देवरिया में ही आंदोलन तेज किया। ढांचा विध्वंस की सूचना मिलने पर देवरिया में विजय जुलूस निकाल रहे थे। मालगोदाम चौराहे पर पुलिस ने रोक दिया। हम लोग रेलवे स्टेशन रोड होकर जाना चाहते थे। अफसरों से कहासुनी के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। मेरा हाथ टूट गया। मेरे अलावा शिवकुमार गौड़ गंभीर रूप से घायल हुए थे। दोनों लोग अस्पताल में भर्ती रहे।
अनिरुद्ध मिश्र,
पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा
रास्ते में हुआ था गिरफ्तार, अयोध्या न पहुंचने का मलाल
श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए मेरे नेतृत्व में भटनी से कारसेवकों का जत्था 1992 में अयोध्या के लिए ट्रेन से निकला। गोरखपुर से उतरकर हम लोग पैदल ही अयोध्या के लिए चल पड़े, लेकिन पुलिस की नजर से बच नहीं सके। बस्ती के पहले ही हम लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। एक सप्ताह तक राजकीय इंटर कालेज में रखा गया। अयोध्या न पहुंचने का मलाल आज भी है, लेकिन मंदिर निर्माण के लिए पूजन होना व अब सभी आरोपित नेताओं को बरी किया जाना खुशी की बात है।
हितेंद्र तिवारी, भाजपा नेता
उस दौरान राममय हो गया था पूरा शहर
श्रीराम मंदिर निर्माण को लेकर जिले में आंदोलन तेज था। पूरा शहर राममय हो गया था। किसी को इसकी चिता नहीं थी कि पुलिस क्या करेगी। हर कोई जोश में था। जुनून सवार था। ढांचा टूटने पर ऐतिहासिक विजय जुलूस निकल रहा था। उस समय पूर्व मंत्री स्व.दुर्गा प्रसाद मिश्र, कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही समेत कई पुराने नेता शामिल थे। पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। कृषि मंत्री समेत तमाम लोगों को लाठी खानी पड़ी। मुझे भी पुलिस की दो लाठी पैर में लगी। मैं गली के रास्ते भागा। आज ढांचा विध्वंस मामले में सभी नेता बरी कर दिए गए। कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।
प्रेम अग्रवाल,
व्यापारी नेता
सुबह ही पहुंच गए थे गर्भगृह
ढांचा विध्वंस से पहले ही हम लोग सुबह गर्भगृह में पहुंच गए। संत होने के नाते मुझे जाने में दिक्कत नहीं हुई। राम चबूतरे पर संत पूजा-पाठ कर रहे थे। धीरे-धीरे कारसेवकों की भीड़ जुटने लगी। उनका जोश देखते बन रहा था। कारसेवकों की तादाद बढ़ती जा रही थी। भीड़ देखकर खाकी वर्दी वाले गर्भगृह से हट गए। इसके बाद गुंबद गिरने शुरू हो गए। चारों तरफ श्रीराम के नारे लग रहे थे।
-श्रद्धानंद त्रिपाठी
संत प्रमुख, गोरक्ष प्रांत, विहिप