आखिर इनकी कब तक झोपड़ी में कटेगी जाड़े की रात
बीडीओ बेलहर जीशान रिजवी ने बताया कि इन लोगों को आवास क्यों नहीं मिला इसकी जानकारी कराई जाएगी। सभी पात्र लोगों को आवंटन के हिसाब से आवास दिया जाएगा। वह स्वयं गांव में जाएंगे और मौका देखकर योजना से सभी को संतृप्त कराने का प्रयास करेंगे।
संतकबीर नगर: बेलहर ब्लाक में प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए बहुतों को पक्का मकान नसीब हुआ, लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में काफी संख्या में ऐसे परिवार हैं जिनके पास रहने के लिए टूटे-फूटे कच्चे घर हैं। जिम्मेदारों ने मानकों की अनदेखी के चलते उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका। पात्रता सूची में नाम होने के बावजूद उनके हाथ खाली हैं। ग्राम पंचायत गंगौरा के गाणापोखर के आधा दर्जन से अधिक गरीबों की जाड़े की रात इस बार भी झोपड़ी में ही कटेगी। कारण कि जिम्मेदारों ने चहेतों को आवास बांटकर अपनी कार्यवाही पूरी कर ली है।
गाणापोखर की संगीता पत्नी भरतलाल के पास एक टूटा-फूटा कच्चा मकान है। जिसकी दीवारें लगभग पूरी तरह से गिर चुकी हैं। यह मकान लगभग गिरने की कगार पर है। फिर भी आवास योजना का लाभ इन्हें नहीं मिल सका। इनका कहना है कि अभी बारिश का मौसम बीता है। अब जाड़े की रात भी इसी झोपड़ी में गुजारनी पड़ेगी। इसी गांव की रहने वाली शशिबाला पत्नी अनिल के पास भी खपरैल का टूटा-फूटा मकान है। इनका कहना है कि सूची में नाम होने के बाद भी इन्हें आवास आवंटित नहीं किया गया। आवास के लिए ब्लाक से लेकर अन्य अधिकारियों के यहां फरियाद किया गया, लेकिन आश्वासन की घुट्टी ही नसीब हुई। उन्होंने बताया कि लगातार बारिश के कारण घर में पानी भर जाता था। बहुत मुश्किल से बारिश कटी अब ठंड में भी समस्या उठानी पड़ेगी। गांव की सुनीता पत्नी सुभाष के पास छप्पर का मकान है। किसी तरह से पांच परिवार का कुनबा इसी छप्पर में रहता है। लेकिन इन्हें भी आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि गांव में काफी लोगों को आवास आवंटित किया गया है, लेकिन हम गरीबों की बारी कब आएगी इसके बारे मे कोई कुछ कहने को तैयार नहीं। गांव के तमाम लोग हैं जिनका नाम पात्रता सूची में है, लेकिन उन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। लोगों का कहना है कि गरीबों तक सरकार की योजनाएं ठीक से नहीं पहुंच पा रही है।
बीडीओ बेलहर जीशान रिजवी ने बताया कि इन लोगों को आवास क्यों नहीं मिला इसकी जानकारी कराई जाएगी। सभी पात्र लोगों को आवंटन के हिसाब से आवास दिया जाएगा। वह स्वयं गांव में जाएंगे और मौका देखकर योजना से सभी को संतृप्त कराने का प्रयास करेंगे।