फर्श पर घंटेभर तड़पते रहे अधिवक्ता, इलाज के अभाव में तोड़ दिया दम Gorakhpur News
कोरोना वैश्विक महामारी में जहां चिकित्सक एक योद्धा के रूप में जुटे हैं वहीं कुछ चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी से लोगों की जान जा रही है और चिकित्सक समाज की किरकिरी भी हो रही है। महराजगंज जिले में इसका नजारा फिर देखने को मिला।
गोरखपुर, जेएनएन : कोरोना वैश्विक महामारी में जहां चिकित्सक एक योद्धा के रूप में जुटे हैं, वहीं कुछ चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी से लोगों की जान जा रही है और चिकित्सक समाज की किरकिरी भी हो रही है। महराजगंज जिले में इसका नजारा फिर देखने को मिला। कोविड हास्पिटल में इलाज के अभाव में एक अधिवक्ता ने दम तोड़ दिया। इस पर वहां हंगामा शुरू हो गया और दो घंटे तक अफरातफरी का माहौल रह। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से मामला शांत कराया। दैनिक जागरण ने बेड के लिए भटक रहे सांस के मरीज खबर को प्रकाशित किया था। बावजूद इस गंभीर समस्या को प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया। इसके कारण इस लापरवाही ने एक और जान ले ली।
जानिए क्या है मामला
हुआ यह कि नेहरू नगर पिपरदेउरवा निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता 70 वर्षीय स्वामीनाथ तिवारी की सांस फूलने लगी। बेटे उमेश चंद्र तिवारी व शिवेश चंद्र तिवारी उन्हें कार से लेकर सुबह 8.30 बजे जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां भर्ती न करके कोविड हास्पिटल जिला महिला अस्पताल में भेज दिया गया। परेशान तीमारदार बीमार बुजुर्ग को फिर वापस लेकर कोविड हास्पिटल पहुंचे, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं था। युवक स्वास्थ्यकर्मियों से बार-बार गुहार लगाते रहे कि भर्ती कर आक्सीजन दिया जाए। अधिवक्ता भी फर्श पर सांस फूलने से तड़पते रहे। बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों ने उन्हें एडमिट नहीं किया। बुजुर्ग की स्थिति और कर्मचारियों की मनमानी देख वहां आक्रोशित लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। तोड़फोड़ कर चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों को घेर लिया। जमकर अपनी भड़ास निकाली। इसके बाद अफरा-तफरी मच गया। मामला बिगड़ता देख आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने उसे एक बेड उपलब्ध कराया, लेकिन उनकी मौत हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से मामले को शांत कराया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि संदिग्ध कोराना मरीज स्वामीनाथ तिवारी को भर्ती कर आक्सीजन लगाया गया था। लेकिन इसी बीच कुछ लोग हंगामा शुरू कर दिए। मरीज गंभीर था, जिससे उसकी मौत हो गई।
आक्सीजन मिलती तो बच जाती जान
अधिवक्ता उमेश चंद्र तिवारी ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि अगर पिता को समय से आक्सीजन सिलंडर मिल जाता तो, उनकी जांच बच जाती, लेकिन मेरी गुहार किसी ने नहीं सुनी, जिसके कारण उनकी मौत हो गई।