डेंगू के खिलाफ प्रशासन की जंग, 21 हजार से अधिक स्थानों पर नष्ट किए गए लार्वा
शहर में डेंगू की रोकथाम की तैयारियां एक सितंबर से ही चल रही हैं। लेकिन एक सप्ताह के अंदर 21 नए मरीज मिल जाने से स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल गए हैं। दो नवंबर को चार नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। शहर में डेंगू की रोकथाम की तैयारियां एक सितंबर से ही चल रही हैं। लेकिन एक सप्ताह के अंदर 21 नए मरीज मिल जाने से स्वास्थ्य विभाग के हाथ-पांव फूल गए हैं। दो नवंबर को चार नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इसके मद्देनजर बचाव की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। नौ टीमें विभिन्न क्षेत्रों में निरीक्षण कर मच्छरों के लार्वा नष्ट कर रही हैं। अभी तक 21 हजार से अधिक जल जमाव वाले स्थानों पर एंटी लार्वल का छिड़काव किया गया है।
डेंगू रोकने में नाकाम साबित हुआ है विभाग
डेंगू को फैलने से रोकने में विभाग पूरी तरह नाकाम रहा है। सितंबर में लखनऊ व प्रयागराज से दो मरीज आए थे। उनके घरों के आसपास सफाई, एंटी लार्वल का छिड़काव व घर के सदस्यों को पानी जमा न होने देने के लिए जागरूक किया गया था। इसके बाद अभियान ठप हो गया। धीरे-धीरे डेंगू फैलने लगा। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड में भले ही अभी तक डेंगू के सिर्फ 45 मरीज हैं, लेकिन शहर में लगभग पांच सौ लोग इस बीमारी से पीडि़त हो चुके हैं। राहत की बात यह है कि किसी की मौत नहीं हुई है।
बनाए गए डेंगू वार्ड
एहतियात के तौर पर बीआरडी मेडिकल कालेज में 70 बेड तथा जिला अस्पताल में 11 बेड का डेंगू वार्ड बना दिया गया है। सभी 20 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में तीन-तीन बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों व हेल्थ वेलनेस सेंटरों पर जांच के लिए रैपिड किट उपलब्ध करा दी गई है।
क्या कहते हैं आंकडे
वर्ष डेंगू से ग्रसित मौत
2016 168 00
2017 11 02
2018 25 00
2019 114 00
2020 09 00
2021 41 00
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डेंगू के लक्षण
त्वचा पर चकत्ते, तेज सिर दर्द, पीठ दर्द, आंखों में दर्द, तेज बुखार, मसूड़ों से खून बहना, नाक से खून बहना, जोड़ों में दर्द, उल्टी, डायरिया। यह लक्षण दिखते ही डाक्टर की सलहा लेनी चाहिए। डाक्टर के परामर्श से उपचार शुरू करना चाहिए।
स्वच्छता ही डेंगू से बचाव का उत्तम उपाय
सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने बताया कि दो मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। तीन की रिपोर्ट अभी आई नहीं है। डेंगू की रोकथाम के लिए टीमें लगाई गई हैं। स्वच्छता ही इससे बचाव का उत्तम उपाय है। इस बीमारी के म'छर साफ पानी में पनपते हैं, इसलिए कहीं भी पानी जमा न होने दें। कूलर, पानी की टंकी, पक्षियों के पानी पीने का बर्तन, फ्रिज की ट्रे आदि को हमेशा साफ करते रहने की जरूरत है। मच्छरदानी लगाकर सोएं। फुल पैंट-शर्ट पहनें।