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पराली जलाने पर प्रशासन सख्त, दर्ज हुआ मुकदमा, लेखपाल की भी तय होगी जिम्‍मेदारी

धान की पराली न जलाया जाए इसको लेकर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। जिले के लखिमा थरुआ गांव में पराली जलाने के आरोप में एक किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। पराली जलाने वालों पर सख्‍त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Published: Sat, 06 Nov 2021 03:16 PM (IST)Updated: Sat, 06 Nov 2021 03:16 PM (IST)
पराली जलाने पर प्रशासन सख्त, दर्ज हुआ मुकदमा, लेखपाल की भी तय होगी जिम्‍मेदारी
पराली जलाने पर प्रशासन सख्त, दर्ज हुआ मुकदमा, लेखपाल की भी तय होगी जिम्‍मेदारी। प्रतीकात्‍मक फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। धान की पराली न जलाया जाए इसको लेकर प्रशासन ने सख्ती शुरू कर दी है। जिले के लखिमा थरुआ गांव में पराली जलाने के आरोप में एक किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। राजस्व कानूनगो सौफिक अहमद की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने आरोपित किसान रंभू गुप्ता के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

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दंडनीय अपराध है पराली जलाना

अपर जिलाधिकारी पंकज कुमार वर्मा ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार प्रदेश में पराली जलाना दंडनीय अपराध है। इसके लिए जिलाधिकारी की बैठक में जानकारी भी दी जा चुकी है। निर्देश के क्रम में पराली न जले इसके लिए हलका लेखपाल और ग्राम प्रधानों की भी जिम्मेदारी तय की गई है। सदर तहसील के कानूनगो सौफीक अहमद की टीम ने निरीक्षण के दौरान रंभू गुप्ता को अपने खेत में धान की पराली जलाते हुए पकड़ लिया। जिसके बाद से आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की गई है। इसके साथ ही पूरे जनपद में नजर रखी जा रही है। जो भी पराली जलाएगा, उसके विरुद्ध सख्‍त कार्रवाई होनी तय है।

किसानों को दिए गए हैं सख्त निर्देश

उप कृषि निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि पराली न जले इसके लिए जिले के समस्त लेखपाल और ग्राम प्रधानों समेत पुलिस विभाग के बीट आरक्षियों की जिम्मेदारी तय की गई है। जिस क्षेत्र में पराली जलने की घटनाएं रिपोर्ट होंगी। उस क्षेत्र के जिम्मेदार अफसर की भी जिम्मदारी तय करते हुए उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। हल्‍का लेखपाल को सीधे तौर पर जिम्‍मेदार बनाया गया है। पराली जलाए जाने पर संबंधित गांव के प्रधान पर भी कार्रवाई की जाएगी।

डीकंपोजर से पराली को सड़ाकर उर्वरक बनाएं किसान

जिला उप कृषि निदेशक राजेश कुमार ने बताया है कि किसी भी उर्वरक की दुकान से किसान डीकंपोजर लेकर उसका घोल बना सकते हैं। डीकंपोजर के घाेल का प्रयोग करके किसान पराली को सड़ाकर उर्वरक खाद बना सकते हैं। ऐसे में किसानों को पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


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