अवैध कब्जे पर चला प्रशासन का बुलडोजर, खाली करायी गई करोड़ों की सरकारी जमीन Gorakhpur News
गोरखपुर में इंदिरा बाल विहार पर करीब 35 डिसमिल जमीन जबकि गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रावास के पास करीब दो एकड़ जमीन खाली करायी गई। विश्वविद्यालय के पास की जमीन पर कुछ कर्मचारी अस्थायी निर्माण कर रहते थे। अधिकतर ने स्वयं सामान हटा लिया।
गोरखपुर, जेएनएन। तहसील सदर की टीम ने शहर में दो महत्वपूर्ण स्थानों से नजूल की भूमि खाली करायी। इंदिरा बाल विहार पर करीब 35 डिसमिल जमीन जबकि गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्रावास के पास करीब दो एकड़ जमीन खाली करायी गई। विश्वविद्यालय के पास की जमीन पर विवि के कुछ कर्मचारी अस्थायी निर्माण कर रहते थे। अधिकतर ने सामान हटा लिया, कुछ लोग कल तक हटा लेंगे। इन स्थानों को पार्किंग के लिए प्रयोग किया जाएगा। इंदिरा बाल विहार पर दो पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए बेहतर स्थान मिल सकेगा। इंदिरा बाल विहार पर चेतना होटल के बगल में अभी और जमीन है लेकिन उसमें वाद चल रहा है। शेष जमीन भी कब्जे में लेने के बाद प्रशासन वहां मल्टीलेवल पार्किंग बनाने का प्रस्ताव तैयार करेगा।
डीएम की देखरेख में चला अभियान
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर कुलदीप मीणा एवं सदर तहसीलदार डा. संजीव दीक्षित के नेतृत्व में कब्जा हटाया गया। खाली करायी गई जमीन के बगल में एक डाक्टर का आवास भी है। जिलाधिकारी ने भी सुबह इस जमीन का निरीक्षण किया था। टीम ने रेलवे बस स्टेशन के सामने नजूल की भूमि को समतल कराया। इसी के बगल में कलेक्ट्रेट भी शिफ्ट होगा, जिसे देखते हुए इस जमीन का उपयोग अस्थायी पार्किंग के लिए किया जाएगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलसचिव आवास एवं संतकबीर छात्रावास के बीच में स्थित जमीन को खाली कराने के लिए पहुंची तहसील की टीम को विरोध का सामना भी करना पड़ा। यहां करीब दो एकड़ जमीन है। इस जमीन पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अस्थायी निर्माण कर रह रहे थे। कुछ कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। विश्वविद्यालय को बिजली के बदले 500 रुपये महीना देते थे।
नेताओं ने किया विरोध
टीम जब जमीन को नजूल का बताकर खाली कराने पहुंची तो वहां विवि कर्मचारी संघ अध्यक्ष महेंद्र नाथ सिंह, उपाध्यक्ष सुरेंद्र यादव, संयुक्त मंत्री हरेंद्र सिंह, पूर्व अध्यक्ष डा. बीएन सिंह, निर्भय नारायण सिंह, रामेश्वर पांडेय आदि पहुंच गए। विश्वविद्यालय के नियंता एवं रजिस्ट्रार भी मौके पर पहुंचे। पहले सभी ने नोटिस न मिलने की बात कही, जिसके बाद तहसील प्रशासन ने 30 दिसंबर 2020 को जारी नोटिस दिखायी। इसके बाद सामान हटाने के लिए सभी लोगों ने समय मांगा। विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस संबंध में मंडलायुक्त से भी बात की। शाम तक करीब 60 फीसद लोगों ने सामान हटा लिया था। यहां अस्थायी निर्माण ध्वस्त कर वहां अस्थायी पार्किंग शुरू की जाएगी।