एडीजी करेंगे नाबालिगों से दुष्कर्म के मुकदमों की मॉनिटरिंग Gorakhpur News
दुष्कर्म से जुड़े मुकदमों की अब एडीजी और आइजी मॉनिटरिंग करेंगे। ट्रायल पर चल रहे मुकदमों में दोनों अधिकारी हर तारीख पर उनकी प्रगति रिपोर्ट लेंगे और डीजीपी को सौंपेंगे।
नवनीत प्रकाश त्रिपाठी, गोरखपुर। दुष्कर्म के आरोपितों को सजा दिलाने के लिए इससे जुड़े मुकदमों की अब एडीजी और आइजी मॉनिटरिंग करेंगे। ट्रायल पर चल रहे मुकदमों में दोनों अधिकारी हर तारीख पर उनकी प्रगति रिपोर्ट लेंगे और डीजीपी को भेजेंगे।
रिपोर्ट के आधार पर डीजीपी के स्तर से मुकदमे के संबंध में जरूरी आदेश-निर्देश जारी किए जाएंगे। उनके निर्देशों के आधार पर एडीजी और आइजी अगली तारीख पर अदालत में अपना पक्ष रखने के लिए अभियोजन से विचार-विमर्श करेंगे। आए दिन सामने आ रही दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए डीजीपी ने प्रदेश में यह व्यवस्था लागू की है। इसके पीछे तर्क यह है कि ऐसे मामलों में अधिक से अधिक आरोपितों को सजा होने पर ऐसी घटनाओं में कमी आएगी।
वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने पर होगा जोर
किसी भी मुकदमे में आरोपित को सजा दिलाने में साक्ष्य की अहम भूमिका होती है। साक्ष्य जितना ठोस और वैज्ञानिक होगा, आरोपित को सजा दिलाना उतना ही आसान होगा। दुष्कर्म की वारदात होने पर घटनास्थल पर कई ऐसे साक्ष्य होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक विधि से ही एकत्र किया जा सकता है। इसके अलावा समय से पीडि़ता का चिकित्सकीय परीक्षण कराकर भी वैज्ञानिक साक्ष्य एकत्र किया जा सकता है। डीजीपी ने दुष्कर्म की वारदात होने पर फोरेंसिक टीम और डाक्टरों की मदद से ऐसे साक्ष्यों को सावधानी पूर्वक एकत्र करने और ट्रायल के दौरान योजनाबद्ध ढंग से उन्हें अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया है। ताकि दुष्कर्म का कोई आरोपित सजा पाने से बच न पाए।
जनपद स्तर पर भी अधिकारियों की तय होगी जिम्मेदारी
दुष्कर्म के मुकदमों की मॉनिटङ्क्षरग करने के लिए एडीजी और आइजी, जनपद स्तर पर भी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करेंगे। जिले स्तर के अधिकारियों के लिए अभियोजन से नियमित संपर्क में रहना आसान और सुविधाजनक है। इसलिए दुष्कर्म के मामलों में उनकी भी जिम्मेदारी तय की जाएगी। ताकि ऐसे मामलों में आरोपितों को सजा दिलाई जा सके।
जोन के इस जिले में इतने मुकदमों का चल रहा ट्रायल
- गोरखपुर - 4
- कुशीनगर - 1
- देवरिया - 1
- महराजगंज - 4
- बस्ती - 4
- संतकबीरनगर - 3
- सिद्धार्थनगर - 3
- गोंडा - 2
- बलरामपुर - 2
- बहराइच - 3
- श्रावस्ती - 3
दुष्कर्म की घटना, सभ्य समाज के लिए कलंक जैसी है। ऐसे मामलों में आरोपित को सजा मिलनी ही चाहिए। कई बार साक्ष्य के अभाव में आरोपित सजा पाने सो बच जाते हैं। अधिकारियों के स्तर पर मुकदमों की मॉनिटरिंग करने पर अधिक से अधिक मामलों में सजा दिलाना संभव हो सकेगा। - दावा शेरपा, एडीजी जोन