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गोरखपुर में दिव्‍यांग बच्‍चे को सामान्‍य बताने पर तीन डायग्नोस्टिक सेंटरों पर कार्रवाई

अभिषेक पांडेय ने अपनी गर्भवती पत्नी की चार अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर जांच कराई थी। गर्भस्थ शिशु के बारे में हर जगह से रिपोर्ट सामान्य आई थी। लेकिन जब बच्चा पैदा हुआ तो उसका एक हाथ नहीं है और सिर भी असामान्य है।

By Satish ShuklaEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 03:17 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 06:08 PM (IST)
गोरखपुर में दिव्‍यांग बच्‍चे को सामान्‍य बताने पर तीन डायग्नोस्टिक सेंटरों पर कार्रवाई
इसी बच्‍चे को डाक्‍टरों ने बताया था सामान्‍य।

गोरखपुर, जेएनएन। एक नवजात की जन्म पूर्व गलत रिपोर्ट देने वाले तीन डायग्नोस्टिक सेंटरों पर गुरुवार को कार्रवाई की गई। डीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने बेतियाहाता स्थित स्पर्श इमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर, छापडिय़ा हास्पिटल व प्रज्ञा अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन सील कर दी।

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पिपरौली के देईपार निवासी अभिषेक पांडेय ने अपनी गर्भवती पत्नी की चार अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर जांच कराई थी। गर्भस्थ शिशु के बारे में हर जगह से रिपोर्ट सामान्य आई थी। लेकिन जब बच्चा पैदा हुआ तो उसका एक हाथ नहीं है और सिर भी असामान्य है। इसे लेकर उन्होंने सीएमओ से जांच की मांग की थी। सीएमओ डा. श्रीकांत तिवारी ने एक मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच सौप दी थी। मेडिकल बोर्ड ने चार डाक्टरों को दोषी माना है। उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज कराई जा चुकी है।

भूख हड़ताल पर बैठे दंपति, तब हुई कार्रवाई

कार्रवाई केवल सहजनवां के न्यू आदित्य अल्ट्रासाउंड सेंटर पर ही हुई थी। सेंटर सील कर उसका लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। तीन सेंटरों पर कार्रवाई न होने को लेकर अभिषेक पांडेय ने अपनी पत्नी व नवजात के साथ बुधवार को डीएम कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू कर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी दबाव में तीन सेंटरों पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा है। आठ घटे बाद पहुंचे अधिकारियों ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया तो उन्होंने हड़ताल खत्म की। इसके बाद डीएम के. विजयेंद्र पांडियन ने शेष बचे तीनों डायग्नोस्टिक सेंटरों का लाइसेंस निलंबित करते हुए उन्हें सील करने का आदेश दिया था। जिसके अनुपालन में प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और अल्ट्रासाउंड मशीन सील कर दी। मुख्‍य चिकित्‍साधिकारी डा. श्रीकांत तिवारी का कहना है कि मेडिकल बोर्ड की जांच में सभी चारो डायग्नोस्टिक सेंटरों की रिपोर्ट की जांच की गई। डाक्टरों को बुलाकर उनका पक्ष भी लिया गया। अंतत: बोर्ड ने चार डाक्टरों को दोषी माना है। चारो के सेंटरों की अल्ट्रासाउंड मशीन सील कर दी गई है।


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