Move to Jagran APP

ट्रेनों में इंजन की बिजली से चलेंगे एसी और पंखे, हर वर्ष बचेंगेे इतने करोड़ रुपये Gorakhpur News

ट्रेनों में अब बल्ब एसी और पंखे ट्रेन के इंजन के पॉवर से चलेंगे। इसके लिए रेलवे ने हेड आन जेनरेशन सिस्टम (एचओजी) तैयार किया है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 Dec 2019 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 27 Dec 2019 07:15 PM (IST)
ट्रेनों में इंजन की बिजली से चलेंगे एसी और पंखे, हर वर्ष बचेंगेे इतने करोड़ रुपये Gorakhpur News
ट्रेनों में इंजन की बिजली से चलेंगे एसी और पंखे, हर वर्ष बचेंगेे इतने करोड़ रुपये Gorakhpur News

गोरखपुर, प्रेम नारायण द्विवेदी। अब ट्रेनों में चढ़ते समय यात्रियों के कानों में डीजल से चलने वाले जेनरेटर की तेज आवाज नहीं सुनाई देगी। आसपास धुआं भी नहीं फैलेगा। यानी, इंजन के ठीक पीछे व गार्ड यान से पहले लगे पॉवर कार के जनरेटर नहीं चलेंगे। केवल विकल्प के रूप में पॉवर कार लगाए जाएंगे। इससे पर्यावरण तो संरक्षित होगा ही, डीजल नहीं जलने से लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) की सिर्फ एक रेक एक वर्ष में लगभग दो करोड़ रुपये बचा लेगी।

loksabha election banner

रेलवे ने तैयार किया हेड आन जेनरेशन सिस्टम

बल्ब, एसी और पंखे आदि इंजन के पॉवर से चलेंगे। इसके लिए रेलवे ने हेड आन जेनरेशन सिस्टम (एचओजी) तैयार किया है, जिसे अति आधुनिक एलएचबी रेक वाली ट्रेनों में ही लगाया जाएगा। पूर्वोत्तर रेलवे में शुरुआत हो चुकी है।  महत्वपूर्ण हमसफर, गोरखधाम और गोरखपुर-लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस में एचओजी लगने लगे हैं। नए साल में सभी एलएचबी रेक वाली ट्रेनों में यह सिस्टम कार्य करने लगेगा। दरअसल, ट्रेनों में इलेक्ट्रिक इंजन लगाकर भी रेलवे डीजल की बचत नहीं कर पा रहा। पॉवर कार में एक घंटे में 60 लीटर डीजल जल जाता है। इससे पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।

एनईआर में ही बच जाएगा 15 करोड़

भारतीय रेलवे में सभी ट्रेनें एलएचबी रेक से ही चलेंगी और एलएचबी रेक में एचओजी अनिवार्य रूप से लगेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे को ही लें, गोरखपुर से बनकर चलने वाली लगभग नौ जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी कोच लग रहे हैं। तीन जोड़ी में लगाए जाने हैं। रोजाना व साप्ताहिक मिलाकर 12 जोड़ी एक्सप्रेस ट्रेनों में एलएचबी व एचओजी लग जाने से एक वर्ष में पूर्वोत्तर रेलवे ही लगभग 15 करोड रुपये की बचत कर लेगा।

सभी एलएचबी रेकों को एचओजी तकनीक से युक्त किया जा रहा है। इस तकनीक से डीजल की बचत होगी, रेलवे का राजस्व भी बचेगा। - पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.