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त्रिनिदाद द्वीप पर बस गया है भारत का एक गांव, परिवार के सौ से अधिक लोग रहते हैं वहां Gorakhpur News

सिद्धार्थनगर के जोगिया ब्लाक के टड़‍िया बाजार के मूल निवासी डा. सच्चिदानंद मिश्र के वंशज त्रिनिदाद द्वीप पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय गिरमिटिया मजदूर पं. चिरकुट मिश्र वहां गए। इनका करीब सौ परिवार का पूरा कुनबा त्रिनिदाद में ही नौकरी करता है।

By Rahul SrivastavaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 05:00 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 05:00 PM (IST)
त्रिनिदाद द्वीप पर बस गया है भारत का एक गांव, परिवार के सौ से अधिक लोग रहते हैं वहां Gorakhpur News
चिरकुट मिश्र के पुत्र की बेटी (बाएं से दूसरी) देवीका व्यास, सत्यप्रकाश मिश्र, सच्चिदानंद मिश्र व अन्‍य। फाइल फोटो

ब्रजेश पांडेय, गोरखपुर : सिद्धार्थनगर के जोगिया ब्लाक के ग्राम टड़‍िया बाजार के मूल निवासी डा. सच्चिदानंद मिश्र के वंशज त्रिनिदाद द्वीप पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय गिरमिटिया मजदूर पं. चिरकुट मिश्र वहां गए। इनका करीब सौ परिवार का पूरा कुनबा त्रिनिदाद में ही नौकरी करता है और वहीं के होकर रह गए। भारत आते भी हैं तो दर्शन और तीर्थ यात्रा करने।

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जहाज में बोरा लादने का काम करते थे बाबा चिरकुट मिश्र

डा. सच्चिदानंद बताते हैं कि उनके चचेरे बाबा चिरकुट मिश्र का जन्म यहीं तेतरी बाजार में वर्ष 1896 में हुआ था। 1916 में वह रोजगार की तलाश में निकले थे, तब वे महज बीस वर्ष के थे। अंग्रेजों ने उन्हें गिरमिटिया मजदूर के रूप में नौकरी दी। बाबा जहाज में बोरा लादने का काम करते थे। अंग्रेजों के साथ पानी की जहाज में यहां से 20-25 लोग गए थे, जिसमें कुछ लोग आजमगढ़ के भी थे। तीन-चार दिनों तक समुद्र में यात्रा करने के बाद अंग्रेजों ने उन्हें ऐसे निर्जन स्थान पर उतार दिया, जहां सिर्फ नारियल का जंगल था। अंग्रेजों ने कहा कि यह जंगल साफ करो, जहां तक सफाई कर लोगे वह हिस्सा तुम्हारा हो जाएगा। अंग्रेजों ने पहले गन्ने की खेती शुरू कराई, फिर वहां शुगर मिल स्थापित करा दिया। आज त्रिनिदाद के कैप दी विले में भारत के कई हिस्सों के लोग बसे हैं। बाबा के दो बेटे थे।

परिवार में सदस्‍यों की संख्‍या सौ से ऊपर हुई

दूसरे नंबर के बेटे अवधनाथ मिश्र ने वहीं शादी कर ली। अवधनाथ के पांच बेटे और तीन बेटियां हुईं। उसके बाद परिवार में सदस्यों की संख्या सौ से ऊपर हो गई है। 1956-57 में चारों धाम यात्रा पर आखिरी बार बाबा चिरकुट मिश्र आए थे। बुद्ध् धरा की माटी भी चूमी थी। पुराने लोगों से मिले थे। अवधनाथ के पुत्र बाल्मिकी मिश्र त्रिनिदाद द्वीप के प्वाइंट फोरटीन में स्थापित ग्रुप टेक्नाेलाजी आरबीटीटी सर्विस लिमिटेड में टेक्नाेलाजी सपोर्ट अफसर हैं। करीब दो वर्ष हुए बाल्मिकी अपने बच्‍चों के साथ अयोध्‍या आए थे। मेरा परिवार भी उनसे मिलने गया था। उन्होंने यहां चारों धाम की यात्रा की और फ‍िर लाैट गए।

त्रिनिदाद पर एक नजर

त्रिनिदाद कैरिबियन सागर का एक द्वीप है, जो सागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है। त्रिनिदाद और टोबैगो मिलकर एक द्वीप देश बना है। यहां कोई भी जातीय समूह बहुसंख्यक नहीं हैं। देश की कुल आबादी करीब चौदह लाख में चालीस फीसद लोग भारतीय हैं। 39 फीसद अफ्रीकी, अन्य में यूरोपीय, चीनी, अमेरिकी आदि निवास करते हैं। यहां का प्रमुख नगर चगवानस और मुख्य बंदरगाह पोर्ट स्पेन और सेनफनरैडो है।


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