एक विद्यालय ऐसा भी, यहां मीनू के हिसाब से नहीं बन रहा भोजन
पडरौना जिला मुख्यालय रवींद्रनगर के समीप मिल्की रसूलपुर गांव में संचालित आवासीय जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों का कहना है कि मीनू के हिसाब से भोजन नहीं बन रहा है। प्रधानाचार्य की ओर से गठित शिक्षकों की समिति की देखरेख में भोजन बनता है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : पडरौना जिला मुख्यालय रवींद्रनगर के समीप मिल्की रसूलपुर गांव में संचालित आवासीय जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों का कहना है कि मीनू के हिसाब से भोजन नहीं बन रहा है। प्रधानाचार्य की ओर से गठित शिक्षकों की समिति की देखरेख में भोजन बनता है। विद्यालय परिसर की मुख्य सड़क इस कदर क्षतिग्रस्त हो गई है कि उस पर चलना मुश्किल है। हास्टल के आसपास घास-फूस व झाड़ियां उग आई हैं, इससे रात में जहरीले कीड़ों का डर सताता है।
मोटर खराब होने से हो रही थी पानी की दिक्कत
बीते बुधवार को एक छात्र के अभिभावक ने विद्यालय में मोटर खराब होने से पानी की दिक्कत की शिकायत की थी। जागरण ने विद्यालय का जायजा लेने के बाद छात्रों, शिक्षकों और प्रधानाचार्य से बातचीत कर समस्याओं की पड़ताल की। परिसर में बनाई गई सड़क पूरी तरह बिखरी दिखी। ऐसा लग रहा था कि विद्यालय की स्थापना के समय बनी सड़क की कभी मरम्मत नहीं कराई गई है। छात्रावास के अगल-बगल घास-फूस और झाड़ियां उगी हुई हैं। हालांकि मोटर की मरम्मत करा दी गई है, अब पानी की कोई किल्लत नहीं है।
ढाई वर्ष बाद शुरू हुई है पढ़ाई
वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण बढ़ने की वजह से मार्च, 2019 में स्कूल बंद कर दिया गया था। सितंबर, 2021 से कक्षाएं चल रही हैं। अभी नौ, 10 व 12 की कक्षाएं संचालित हो रही हैं। कक्षा 11 के बच्चों को नहीं बुलाया गया है। मौजूदा समय में कुल 236 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। कक्षा नौ के आशीष सोलंकी, अनुराग सिंह, कक्षा 10 के अजीत गुप्ता व कक्षा 12 के शिशुपाल ने बताया कि मीनू के हिसाब से भोजन नहीं बन रहा है। परिसर की सड़क खराब हो चुकी है, संभल के न चला जाए तो गिरकर घायल हो जाएंगे।
क्या कहते हैं प्रधानाचार्य
प्रधानाचार्य तेज सागर ने कहा कि काफी समय तक विद्यालय बंद होने की वजह से परिसर में घास-फूस व झाड़ियां उग आई थीं। सफाई कराई गई है। घासों पर दवा का छिड़काव भी कराया गया है। बीते बुधवार को मोटर खराब हुआ था, बारिश की वजह से मरम्मत में विलंब हुआ था। आरओ वाटर मंगाकर बच्चों व कर्मचारियों की जरूरत पूरी कराई गई थी। टेंडर न होने की वजह से मीनू के हिसाब से भोजन नहीं बन पा रहा है। फिर भी बेहतर भोजन बच्चों को दिया जा रहा है।