सोहगीबरवा में इको टूरिज्म के लिए बनेगा नया प्रस्ताव Gorakhpur News
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस की टीम ने अभ्यारण्य का दौरा कर उन स्थानों को चिन्हित करने का कार्य शुरू कर दिया है।
गोरखपुर, जेएनएन। हिमालय की तलहटी में 425 किलोमीटर क्षेत्र में फैले सोहगीबरवा अभ्यारण्य में इको टूरिज्म विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग ने प्रयास तेज कर दिया है। विभाग ने पहले तैयार किए गए वन विभाग के प्रस्ताव को खारिज करते हुए नए सिरे से प्रस्ताव तैयार कराने का निर्णय लिया है। इसकी जिम्मेदारी कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (सीएंडडीएस) को सौंपी गई है।
चार रेंज के लिए बने अलग-अलग प्रस्ताव
महराजगंज जिले में मौजूद सोहगीबरवा अभ्यारण्य को ईको टूरिज्म के तहत विकसित करने की कवायद दो वर्ष पहले से चल रही थी। पर्यटन विभाग ने वन विभाग से भी प्रस्ताव मांगा था। वन विभाग ने अभ्यारण्य के सभी चार रेंज (लक्ष्मीपुर, पकड़ी, निचलौल और दक्षिणी रेंज) के लिए अलग-अलग प्रस्ताव बनाया और उसे पयर्टक स्थल के रूप में विकसित करने लिए सात करोड़ 92 लाख रुपये की जरूरत बताई। प्रस्ताव में बहुत ऐसे कार्यों का जिक्र था, जो पर्यटन विभाग के दायरे में नहीं आते। ऐसे में विभाग को नए सिरे से प्रस्ताव बनवाने की जरूरत पड़ी। पर्यटन विभाग के मुताबिक कार्यदायी संस्था से पांच करोड़ रुपये के दायरे में प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
इसलिए गया पर्यटन विभाग का ध्यान
सोहगीबरवा अभ्यारण्य जैव विविधता का हब है। यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतु और प्राकृतिक वनस्पतियां मौजूद हैं। इसी वजह से 1984 में इसे अभ्यारण्य का दर्जा दे दिया गया। चूंकि वहां से भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी और महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर दोनों पास हैं, जिसे लेकर उस क्षेत्र से पर्यटकों के आने-जाने का सिलसिला निरंतर बना रहता है। इसके अलावा नेपाल घूमने जाने के लिए भी बड़ी संख्या में पर्यटक अभ्यारण्य के बगल से गुजरते हैं। ऐसे में अभ्यारण्य के बहाने पूर्वांचल में पर्यटकों का ठहराव बढ़ाने के लिए पर्यटन विभाग ने वहां इको टूरिज्म विकसित करने की योजना बना ली।
जल्द ही तैयार होगा नया प्रस्ताव
क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रवींद्र कुमार मिश्र का कहना है कि कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस की टीम ने अभ्यारण्य का दौरा कर उन स्थानों को चिन्हित करने का कार्य शुरू कर दिया है, जिन्हें पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर पर्यटकों को लुभाया जा सके। बहुत जल्द नया प्रस्ताव तैयार कराकर स्वीकृति के लिए शासन को भेज दिया जाएगा।